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कम नहीं चुनाव आयोग की शक्तियां- नवीन चावला

भारत में जाति पर बहस राजनीतिक परिणामों की एक निर्धारक है। यह वर्ष 2019 के आम चुनाव सहित भारत में तमाम चुनावों की एक रोचक विशिष्टता है। यह ऐसी निर्धारक है कि मतदाताओं के बीच अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनाव अभियान में अपनी जातिगत पहचान बतानी पड़ती है। उत्तर और केंद्रीय भारत की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों को किसी जाति या बिरादरी विशेष के लिए पहचाना जाता है।...

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सबसे बड़े लोकतंत्र में धरना-प्रदर्शनों की आवाज़ क्यों नहीं सुनी जाती?- माधव शर्मा

जयपुर: देश में चुनाव हो रहे हैं. हर तरफ लोकतंत्र, नागरिक अधिकार, संविधान की रक्षा और विकास जैसे शब्द कई तरह के नारों के साथ हर रोज़ सुनाई दे रहे हैं, लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इन शब्दों को सही मायनों में ज़मीन पर उतारने में लगभग नाकाम ही रहा है. स्वस्थ लोकतंत्र में संवैधानिक हक़ के तौर पर देश के नागरिकों को मिले शांतिपूर्वक विरोध, धरने और प्रदर्शनों के...

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अमूल की धरती गुजरात का मुख्य चुनावी मुद्दा बना डेयरी फार्मिंग उद्योग

अहमदाबाद: गुजरात ने 50 साल पहले भारत में ‘सफेद क्रांति ' लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ लिमिटेड के डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में, जो बाजार में अग्रणी अमूल ब्रांड के मालिक हैं ने भारत को ऑपरेशन फ्लड के माध्यम से दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक और दूध के उपभोक्ता में बदल दिया. लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. भले ही अमूल भारत की सबसे...

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दलित विमर्श का हाशिए पर जाना-- बद्रीनारायण

स बार के संसदीय चुनाव में दलित विमर्श हाशिए पर जाता दिख रहा है। एक तो राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में दलित समाज को वंचित श्रेणी में रखकर महिलाओं और अन्य वंचित-शोषित समुदायों के साथ ही प्रस्तुत किया जा रहा है। लिखित और प्रकाशित घोषणापत्रों व प्रचार सामग्रियों में ‘दलित' शब्द की जगह ‘अनुसूचित जाति' और ‘वंचित' जैसे शब्द आने लगे हैं। दलितों के लिए भी अन्य के साथ कुछ...

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अनसुनी रह जाती है जिनकी आवाज-- बद्रीनारायण

जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...

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