ऐसे समय में जबकि खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छू रही हैं और दुनिया में भुखमरी अपने पैर पसार रही है, जलवायु परिवर्तन से संबंधित विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि आने वाले वक्त में हमें और भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा। दिनों-दिन बढ़ते वैश्विक तापमान की वजह से भारत की कृषि क्षमता में लगातार गिरावट आती जा रही है।एक अनुमान के मुताबिक इस क्षमता में 40 फीसदी तक की कमी हो सकती...
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बुंदेलखड को केंद्र से फिर मांगा विशेष पैकेज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश ने हिमाचल एवं उत्तराखंड की तर्ज पर बुंदेलखंड को विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग दोहराई है। केंद्रीय योजना आयोग को 80 हजार करोड़ के पैकेज की याद फिर दिलाई है। कहा है कि सामरा कमेटी की संस्तुतियों के अनुरूप इस क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 3,866 करोड़ की विशेष सहायता इसी साल दी जानी चाहिए। बुंदेलखंड में ऊर्जा, सिंचाई एवं कृषि पर केंद्रीय...
More »खाद संकट पर फूटा किसानों का गुस्सा
भोपाल । रायसेन जिले में खाद-बीज की इतनी मारामारी हो रही है कि इसको लेकर क्षेत्र के कृषकों ने मंडी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन तक कर चुके है। जिले के आला अधिकारी कृषकों को समझाइश के अलावा कुछ नहीं दे पा रहे है। क्षेत्र में खाद की कमी लम्बे अरसे से बनी हुई है, जिससे फसलें प्रभावित हो रही है। जिले के सुल्तानपुर व आसपास डीएपी की समस्या बनी हुई...
More »जमीन पर नहीं उतरे 96 हजार करोड़ के प्रस्ताव
पटना। बिहार के पिछड़ेपन को बहुत हद तक मिटा देने के लिए काफी माने गए निजी निवेश के करीब 96,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर नहीं उतर पाए। मुख्य रूप से ऊर्जा एवं कृषि के क्षेत्र में आए इन प्रस्तावों को दो साल पूर्व ही राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की मंजूरी मिल चुकी है। पिछले साल दो चीनी मिलों में रिलायंस और एचपीसीएल के लगे 600 करोड़ रुपये के...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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