SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 446

सौ नए संस्थानों में तैयार होंगे योग्य शिक्षक- मदन जैड़ा

केंद्र सरकार ने पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन के तहत योग्य शिक्षक तैयार करने की योजना तैयार की है। इसके तहत, देश में करीब सौ उच्च स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना होगी। साथ ही शिक्षकों के लिए नए कोर्स शुरू किए जाएंगे। हालांकि, सरकार ने पिछले बजट में इस मिशन को शुरू करने की घोषणा की थी। इसके लिए पांच सौ करोड़ का प्रावधान भी रखा था,...

More »

रीयल एस्टेट क्षेत्र को चाहिए आठ करोड़ कुशल कामगार

नई दिल्ली। देश के रीयल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 2022 तक करीब आठ करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत पड़ेगी। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में बिल्डिंग, कंस्ट्रक्शन और रीयल एस्टेट सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। एनएसडीसी ने जिन 24 सेक्टरों का अध्ययन किया है, उनमें इस सेक्टर में 2013-2022 के बीच मानव संसाधन की अधिकतम आवश्यकता...

More »

सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

More »

65 हजार करोड़ के निवेश से हो गये वंचित

झारखंड में जब तक जमीन की समस्या का कोई रास्ता नहीं निकलता, इस राज्य को विकसित राज्य बनाना मुश्किल होगा. राज्य बनने के बाद अनेक कंपनियों ने झारखंड आना चाहा, लेकिन अधिकांश को जमीन नहीं मिल पायी. एमओयू होते गये लेकिन ये जमीन पर नहीं उतारे गये. 37 स्टील कंपनियों ने तो एमओयू वापस ले लिया या रद्द कर दिया. अगर ये कंपनियां यहां लग गयी होती तो न सिर्फ...

More »

आदिवासियों, किसानों की जमीन बचाने से हो शुरुआत- सच्चिदानंद सिन्हा

बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close