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मोबाइल ऐप के ज़रिये आईटी फर्म ने आंध्र प्रदेश के मतदाताओं का डाटा हासिल किया: तेलंगाना पुलिस

हैदराबाद/अमरावती: मोबाइल ऐप के ज़रिये आंध्र प्रदेश में मतदाताओं के डाटा की चोरी की आरोपी शहर की एक आईटी कंपनी आईटी ग्रिड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने आधार और सरकारी योजनाओं समेत अन्य चीज़ों से संबंधित लोगों की निजी और संवेदनशील सूचनाओं तक ‘अवैध' पहुंच हासिल की. तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस आयुक्त वीसी सज्जनार ने बीते सोमवार को यह बात कही. प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह भी...

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झारखंड में अडाणी पावर की 14,000 करोड़ रुपये की सेज़ परियोजना को मंज़ूरी

नई दिल्ली: सरकार ने झारखंड में अडाणी पावर की 14,000 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) परियोजना को मंजूरी दे दी है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इस परियोजना में बनने वाली पूरी बिजली बांग्लादेश को निर्यात की जाएगी. अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य सचिव की अध्यक्षता वाले मंजूरी बोर्ड ने इस परियोजना को स्वीकृति दी है. यह मंजूरी बोर्ड सेज पर फैसला लेने वाला शीर्ष निकाय है. अडाणी पावर...

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तमिलनाडु: स्टरलाइट कॉपर प्लांट को दोबारा खोलने के एनजीटी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

नई दिल्ली: तमिलनाडु के तूतीकोरीन में स्थित वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को दोबारा खोलने के राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के फैसले को खारिज कर दिया है. एनजीटी ने बीते 15 दिसंबर को दिए अपने फैसले में प्लांट को दोबारा शुरू करने की अनुमति दे दी थी. लेकिन तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी के फैसले के खिलाफ अपील दायर किया था. लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट...

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क्या कोका-कोला भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित कर रहा है?

‘कोका-कोला कंपनी ने एक गैर-लाभकारी समूह के माध्यम से मोटापे पर चीन की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को नजरअंदाज कर दिया है. यह गैर-लाभकारी समूह पोषण पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सरकार की नीति को कंपनी के कॉर्पोरेट हितों के पक्ष में प्रभावित करने का काम करती है.' ऐसा कहना है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुज़न ग्रीनहाल्ग का और ये चौंकाने वाले तथ्य पिछले महीने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल और...

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खुद की अदालत में मीडिया-- मृणाल पांडे

हमारे साहित्य या मीडिया में खुद अपने भीतरी जीवन की सच्चाई जिक्री तौर से ज्यादा, फिक्री तौर से कम आती है. मसलन दर्शक-पाठक भली तरह जान चुके हैं कि मीडिया के भीतर कैसी मानवीय व्यवस्थाएं हैं, खबरें कैसे जमा या ब्रेक होती हैं. पत्रकारों के बीच एक्सक्लूसिव खबर देने के लिए कैसी तगड़ी स्पर्धा होती है. लेकिन, पिछले दो दशकों में उपन्यासों, कहानियों या मीडिया पर लिखे जानेवाले काॅलमों में...

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