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असम के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय – I

-न्यूजक्लिक, दुनियाभर में कोविड-19 के प्रसार ने एक प्रकार से भानुमति का पिटारा ही खोलकर रख दिया है, क्योंकि अधिकाँश देशों में मामलों की संख्या में दिन-दूनी रात-चौगुनी वृद्धि से निपटने के मामलों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहद अपर्याप्त पाया गया था। कई देशों में मौतों को रोक पाना बेहद दुष्कर कार्य जान पड़ा। महामारी ने वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक हिमालय जैसी अलंघ्यनीय चुनौती पेश कर दी थी –...

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नोटबंदी के पांच साल बाद मोदी सरकार के पास इसकी सफलता बताने के लिए कुछ भी नहीं है

-द वायर, भारतीय अर्थव्यवस्था अभी तक नोटबंदी के साए से बाहर नहीं निकल पाई है. भारतीय रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि भारत के नागरिकों के हाथों में नकद ऐतिहासिक स्तर पर है. 4 नवंबर, 2016 को यह 17.5 ट्रिलियन रुपये था. 8 अक्टूबर, 2021 को यह 57 फीसदी के जबरदस्त उछाल के साथ 28 ट्रिलियन रुपये हो चुका है. इसका नतीजा यह है कि भारत का नकद-जीडीपी अनुपात अब बढ़कर...

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डब्ल्यूटीओ के 12वें मंत्रीस्तरीय सम्मेलन में भारत के लिए "पीस क्लॉज" से "परमानेंट सलूशन" तक जाने की गंभीर चुनौती

-रूरल वॉइस, विश्व व्यापार संगठन  (डब्ल्यूटीओ) के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) की बैठक 30 नवम्बर से लेकर 3 दिसम्बर के दौरान  स्विटजरलैंड के जेनेवा में आयोजित की जाएगी । एमसी 12 का पिछले साल कजाकिस्तान में होने वाला यह सम्मेलन  कोरोना महामारी के कारण स्थगित हो गया था ।  साढ़े सात दशक पहले अस्तित्व में आई बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के समय से ही डब्ल्यूटीओ के सदस्यों के बीच कृषि सबसे  विवादस्पद...

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सिर्फ 16 राज्य/UT के निजी स्कूलों में वंचित समूह के बच्चों को फ्री में पढ़ाया जाता हैः रिपोर्ट

-द प्रिंट, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स – एनसीपीसीआर) की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि देश भर में सिर्फ 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ही वंचित समूहों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (एकनॉमिकली वीकर सेक्शंस- ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को बिना किसी शुल्क के निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश प्रदान किया जाता है. एनसीपीसीआर ने बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य...

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सरकार ने करोड़ों ख़र्च किए, लेकिन पंजाब में पराली जलाने का व्यावहारिक विकल्प खोजने में विफल रही

-द वायर, पराली जलाने की समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले चार सालों में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी रही है. इस राशि में से 1,050.68 करोड़ रुपये पंजाब को दिए गए थे, लेकिन यहां अभी भी भारी तादाद में खेतों में पराली जलाए जा रहे हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी)...

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