नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कांग्रेस पार्टी के नेता किसान कर्ज माफी स्कीम को यूं ही 'गेमचेंजर' नहीं कहते। आंकड़े इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि संप्रग को वर्ष 2009 के आम चुनाव में दोबारा सत्ता में लौटाने में इस स्कीम की अहम भूमिका थी। देश के तीन सबसे ज्यादा संसदीय सीट वाले राज्यों में इस स्कीम को लागू करने को प्राथमिकता दी गई। देश के कुल माफ किए गए...
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अनाज का भंडार है तो अपने लोगों को क्यों न खिलायें
नयी दिल्ली: ऐसे समय जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खाद्य सुरक्षा विधेयक को अगले लोकसभा चुनाव में उसके तुरुप के पत्ते के तौर पर माना जा रहा है, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि गरीबों को सस्ता अनाज देने से देश में खुशहाली आयेगी. पवार ने यहां संवाददाताओं से कहा, जब हमारे खाद्यान्न भंडार भरे पडे हैं तो हम क्यों...
More »किसानों की खुदकुशी पर विधान सभा में हंगामा
भोपाल [ब्यूरो]। किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर विधान सभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने राज्य में प्रतिदिन आठ किसान और खेतिहर मजदूरों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए विधायकों की समिति की मांग ठुकराए जाने पर बहिर्गमन कर दिया। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करने का आरोप लगाया। प्रश्नकाल में किसान और खेतिहर मजदूरों की खुदकुशी का मुद्दा कांग्रेस...
More »खुला बाजार और बंद दिमाग- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 11 दिसंबर, 2012: लंबे समय से देश के किसी भी गहरे सवाल पर, कोई भी सार्थक बहस करने में असमर्थ लोकसभा-राज्यसभा के सदस्यों के बीच दो दिन की भाषणबाजी के बाद यह फैसला हो गया कि भारत का खुदरा बाजार विदेशी पूंजी और विदेशी माल के लिए खोल दिया जाएगा। अरविंद केजरीवाल पूछते हैं कि भाई, जो खुदरा बाजार में अपना माल लेकर बैठता है और जो खरामां-खरामां उससे खरीदारी करने...
More »इस असंतोष की जड़ें- पुण्य प्रसून वाजपेयी
जनसत्ता 8 नवंबर, 2012: बेचैनी हर किसी में है। आम आदमी की बेचैनी रोज-रोज की परेशानी से जूझते हुए पैदा हुई है। खास लोगों की बेचैनी सत्ता-सुख गंवाने के डर से उपजी है। विरोध में उठे हाथ गुस्से में हैं। गुस्सा जीने का हक मांग रहा है। सत्ता को यह बर्दाश्त नहीं है तो वह गुस्से में उठे हाथों को चिढ़ाने के लिए और ज्यादा गुस्सा दिलाने पर आमादा है। गुस्सा...
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