मैंने 1980 के दशक में जब भारत में आना शुरू किया, तो मैं यहां के आईटी क्षेत्र की बढ़त और उद्यमिता की सोच को देखकर अचंभित हो गया। भारत के एक नियमित पर्यटक के रूप में मैं यह मानता हूं कि देश का भविष्य काफी उज्जवल है। लेकिन एक चीज, जिससे भारत के उज्जवल भविष्य की संभावनाएं और भी बढ़ सकती हैं, वह है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अधिक निवेश।...
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कम नहीं हो पा रहा कुपोषण- संदीप कुमार
सरकार का दावा है कि लोगों में कुपोषण घटा है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की 66वीं अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि दो तिहाई लोग पोषण के सामान्य मानक से कम खुराक ले पा रहे हैं. योजना आयोग का मानना है कि हर ग्रामीण को न्यूनतम 2400 किलो कैलोरी व हर शहरी को न्यूनतम 2100 किलो कैलोरी का आहार मिलना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है, यह भी सरकारी...
More »बच्चों के हित में एकीकृत बाल संरक्षण योजना- आर के नीरद
मित्रो, बच्चों के अधिकार, स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर परिवार, समाज और सरकार सभी चिंता करते हैं. ये इन सभी के भविष्य की बुनियाद हैं. इन्हें जितना मजबूत बनाया जायेगा, सब का भविष्य उतना ही उज्ज्वल होगा. इस तथ्य के बाद भी आंकड़े बताते हैं कि हम बच्चों की जान बचाने में अब भी पीछे हैं. जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उनमें कुपोषित बच्चों की संख्या भी अधिक होती है. बच्चों...
More »हजार में 46 बच्चों की हो रही मौत, केंद्र से मांगे 56 करोड़
रायपुर (निप्र)। राज्य में हर साल करीब 4 लाख बच्चे जन्म लेते हैं और इनमें से लगभग 18 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में शिशु मृत्युदर का प्रतिशत प्रति हजार 46 है। अब राज्य सरकार ने नया लक्ष्य तैयार किया है, जिसमें प्रति हजार 46 बच्चों की मौत को 2017 तक घटाकर 30 तक पहुंचना है, जिसके लिए केंद्र से सत्र...
More »अपराध की उम्र और हमारी समझ- कविता कृष्णन
जहां तक महिलाओं के अधिकार का सवाल है, 'सामान्य समझ' अक्सर गलत साबित होती है। इस मामले में हमें लीक से हटकर सोचने की जरूरत है, खास तौर पर बलात्कार के मामले में यह ज्यादा सच है। मोदी मंत्रिमंडल द्वारा किशोर न्याय कानून में संशोधन के प्रस्ताव का उदाहरण लें, जिसमें 16 से 18 वर्ष के किशोरों के खिलाफ मामला वयस्कों की अदालत में चलाए जाने और संगीन अपराधों में...
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