विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...
More »SEARCH RESULT
विकास की जिम्मेदारी राज्यों की- एम के वेणु
राजग सरकार ने 'सहकारी संघवाद' की अपनी धारणा के तहत, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेहद प्रिय है, केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय बंटवारे के पैटर्न को बुनियादी तौर पर बदलना चाहा है। उदाहरण के तौर पर, वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश बजट में स्वास्थ्य, बाल विकास, शिक्षा, ग्रामीण पेयजल, आवास जैसे महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रमों के मद में दी जाने वाली केंद्रीय सहायता में करीब 75,000 करोड़ रुपये...
More »भारत के गांव क्या कहते हैं- कैरोल गियाकोमो
भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने और वहां की भयावह निर्धनता को कम करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलों को समझने के लिए उदयपुर से मात्र 45 मिनट की दूरी पर बसा भेसड़ा खुर्द गांव सही जगह है। यहां 29 वर्षीय कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर रोहित नागड़ा मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रही अपनी पत्नी और परिवार के साथ रहते हैं। हालांकि नागड़ा के पास स्थानीय विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस की...
More »सोच बदलने से बढ़ेगी साक्षरता- वरुण गांधी
वर्ष 2014 में देश में तीस करोड़ से ज्यादा बच्चे 6-17 के आयुवर्ग के थे। देश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या क्रमशः 1,191,719 और 233,845 हैं, जबकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा सकल पंजीकरण अनुपात क्रमशः 73.6 और 49.1 है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में तो यह अनुपात महज 21.1 फीसदी है। वहीं प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात क्रमशः 28 और 40...
More »ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी
निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...
More »