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देसी विद्वता का लेखा-जोखा ।। रवि दत्त बाजपेयी ।।

- वर्ष 1917 में प्रख्यात विश्व कोशकार आचार्य बिजेंद्रनाथ सील ने प्रेसीडेंसी कॉलेज में भौतिक शास्त्र के एक टेम्पररी असिस्टेंट प्रोफेसर को कोलकाता विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणामों में सांख्यिकीय प्रवर्ति का अध्ययन करने का आग्रह किया. भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक महोदय को आंकड़ों की नयी विद्या में बहुत आनंद आया, तो उन्होंने अपने कॉलेज की भौतिकी प्रयोगशाला में इस पर नये विषय के सिद्धांतों-धारणाओं को परखने के लिए एक सांख्यिकीय प्रयोगशाला ही बना...

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जहां वे सेतु बनते हैं- मिहिर पंड्या

जनसत्ता 1 फरवरी, 2013: गणतंत्र दिवस की सुबह। जयपुर साहित्य उत्सव के उस सत्र का शीर्षक था ‘विचारों का गणतंत्र’। आशीष नंदी ने पहले उदाहरण देकर विस्तार से समझाया कि क्यों एक सवर्ण अभिजात का भ्रष्टाचार हमारी बनाई ‘भ्रष्टाचार’ की मानक परिभाषाओं में फिट नहीं होता और क्यों सिर्फ दलित का भ्रष्टाचार नजर आता है। इसलिए जब उन्होंने यह कहा कि भ्रष्टाचारियों का बहुमत वंचित जातियों से आता है तो उन्होंने अपनी...

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यौन हिंसा की जड़ें- अजेय कुमार

जनसत्ता 29 जनवरी, 2013:  सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा गठित समिति का उद्देश्य था आपराधिक कानूनों और अन्य प्रासंगिक कानूनों में ऐसे संभव संशोधन सुझाना ताकि ‘महिलाओं पर चरम यौन हमलों के मामलों में तेजी से फैसला हो सके और मुजरिमों को कहीं ज्यादा सजा दिलाई जा सके।’ अभी इस समिति को बने ज्यादा समय नहीं हुआ कि बलात्कार की अन्य हालिया घटनाओं...

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जननि जग अंधियारा- अनुपमा

देश में प्रति एक लाख में से 254 महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है. झारखंड में यह आंकड़ा 312 है और राज्य के गोड्डा जिले में 700. अनुपमा की रिपोर्ट.    केस 1 11  जुलाई, 2012. गोड्डा जिले के बालाजोर गांव में 28 साल की एक गर्भवती महिला दमयंती तुरी को शाम करीब पौने छह बजे जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. 10 दिन पहले टिटनस का इंजेक्शन लेने के बाद...

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प्रतिरोध का कारवां- भारत डोगरा

जनसत्ता 7 नवंबर, 2012: यूपीए सरकार ने जिस तरह खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश को आगे बढ़ाने की जिद पकड़ी है उसकी ठीक ही व्यापक आलोचना हुई है। कोई ठोस प्रमाण दिए बिना ही सरकार ने कह दिया कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। कुछ समय के लिए खुदरा में बहुराष्टÑीय कंपनियों का प्रवेश जरूर चकाचौंध उत्पन्न कर सकता है, पर शीघ्र ही यह स्पष्ट...

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