जनसत्ता 17 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग के ताजा निर्णय के कारण राजनीतिक पार्टियों में खलबली मच गई है। आयोग का फैसला राजनीतिक पार्टियों की पीठ पर कोड़ा मारता दिखा, लेकिन उसे दलों ने पेट पर लात मारने की शक्ल में माना और अपनी जगहंसाई कराई। आयोग के सामने प्रश्न था कि क्या सूचनाधिकार अधिनियम की धारा 2 (ज) के अनुसार राजनीतिक दलों को लोक प्राधिकारी (पब्लिक अथॉरिटी) माना जा...
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पारदर्शिता से परहेज क्यों- बाबू लाल नागा
यह सूचना के अधिकार की ताकत का ही नतीजा है कि आज राजनीतिक दल इस कानून से काफी आतंकित है। वे सूचना के अधिकार कानून के तहत जवाब देने से कतरा रहे हैं। केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले का विरोध करते हुए एक हो गए हैं। कह रहे हैं राजनीतिक दल कोई सरकारी संस्था थोड़े ही है जो उस पर सूचना के अधिकार का शिकंजा कसा जाए।कहा जा रहा इससे...
More »पारदर्शिता का पैमाना और पार्टियां- शीतला सिंह
जनसत्ता 11 जून, 2013: केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में राजनीतिक दलों को सूचना आयोग कानून के तहत जवाबदेह माना है। आयोग की पूर्णपीठ ने राजनीतिक दलों का यह तर्क नहीं स्वीकार किया कि वे सरकारी सहायता से चलने, उनसे अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन नहीं हैं इसलिए वे इस कानून से मुक्त हैं। केंद्रीय सूचना आयोग का मानना है कि वे केंद्र सरकार की ओर से परोक्ष...
More »अमेठी में पांच हजार में बिक रहा है बीपीएल कार्ड
स्वामीनाथ शुक्ल, अमेठी। नए राशन कार्डों के सत्यापन में बीपीएल और अन्त्योदय के पात्र लाभार्थियों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी हो रही है। हेरा-फेरी के इस खेल में बांग्लादेशी बी भारत की नागरिकता ले रहे हैं। यहां पांच हजार रुपए में बीपीएल और दस हजार में अन्त्योदय राशन योजना का कार्ड मिल जा रहा है। बीपीएल सूची में नाम बढ़वाने और कटवाने के इस खेल में ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान...
More »1993 के बाद हुआ कोल आवंटन अवैध: संसदीय समिति
नयी दिल्ली : कोयला घोटाले की जांच कर रही संसदीय समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कोयला आवंटन के लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है वह पूरी तरह से अवैध है. ड्राफ्ट में कहा गया है कि साल 1993 से साल 2008 तक जितने भी कोल ब्लॉक आवंटन हुए वह अवैध तरीके से हुए. समिति ने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने लोगों के साथ विश्वासघात...
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