रुड़की (हरिद्वार)। यदि सहकारी समिति के गोदामों पर जल्द खाद नहीं भेजा गया तो अगले माह खाद का बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है। इस पर जिला सहायक निबंधक सहकारी समितियां ने खाद कोटा बढ़ाने के निर्देश समितियों को दिए हैं। कांवड़ियों का आवागमन जल्द शुरु हो जाएगा। जैसे-जैसे जलाभिषेक की तिथि नजदीक आती जाएगी तो उसी के साथ कांवडि़यों की संख्या भी बढ़ती चली जाएगी। इस बीच हाईवे पूरी तरह कांवड़ियों के हवाले...
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सब्जी बीज उत्पादन को नवजीवन
पटना। लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद (कपार्ट) भारतीयकृषि अनुसंधान परिषद केसाथ मिलकर सूबे के हाजीपुर और सारण में सामुदायिक आधारित कृषि तकनीक को विकसित करेगा। कपार्ट के सदस्य सचिव दीपांकर श्रीज्ञान ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से संस्था को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। कपार्ट के महानिदेशक मो.हलीम खान ने निर्देशित किया है कि कृषि विज्ञान केंद्र, हाजीपुर की साझेदारी से सब्जी बीज के उत्पादन और...
More »खेतों के लिए चाहिए 270 सरकारी नलकूप
रुड़की (हरिद्वार)। खेतों की प्यास बुझाने के लिए हरिद्वार जनपद को अभी 270 और सरकारी नलकूप चाहिए। इन नलकूपों का प्रस्ताव नलकूप खंड सिंचाई विभाग से शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन पहले चरण में भगवानपुर ब्लाक क्षेत्र में 58 नलकूपों के निर्माण को ही हरी झंडी मिलने के आसार हैं। हरिद्वार जनपद में करीब 38 हजार हेक्टेयर भूमि असिंचित है। हालांकि इस असिंचित क्षेत्र को सींचने के लिए सिंचाई विभाग के पास...
More »बंजर भूमि पर किसान उपजा रहे सोना
मगध (गया/औरंगाबाद/नवादा/जहानाबाद)। कृषि क्षेत्र में भी राज्य सरकार की पहल अब रंग लाने लगी है। मगध प्रमंडल के कृषकों को बेहतर उत्पादन के गुर सिखाए जा रहे हैं। बदलते परिवेश में विशेषकर मौसम के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए फसलों के उत्पादन एवं इकाई क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किस्मों का चुनाव, समय से बोआई, नराई-गुहाई, तृण-नियंत्रण, निर्धारित समय पर उचित मात्रा में जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों का व्यवहार, सिंचाई की उचित व्यवस्था, कीट...
More »भगवान भरोसे गांवों की सेहत
सीकर. जिले के 38 गांवों व ढाणियों के हजारों ग्रामीणों का स्वास्थ्य भगवान भरोसे है। मामूली खांसी-जुकाम की दवा लेने भी यहां के लोगों को दस से 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने एक मोबाइल वैन इनके लिए लगाई है लेकिन उसके दर्शन भी डेढ़ से दो माह के बाद ही हो पाते हैं। मौसमी बीमारियां शुरू हो चुकी है। भीषण गर्मी में डायरिया, लू, पेट दर्द, बुखार आदि बीमारियां...
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