राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...
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शेल कंपनियां और भ्रष्टाचार की कहानी - 1/ हरिवंश
यह महज संयोग था, दक्षिण से दिल्ली लौटा था. शेल कंपनियां की खबरें, पहली बार पढ़ा-सुना. एक चार्टर्ड एकाउंटेंट मित्र से बुनियादी जानकारी ली. समझा. इस विषय को राज्यसभा में उठाने के लिए शून्यकाल में नोटिस दिया. दो-बार. अंतत: स्वीकृत हुआ. उपराष्ट्रपति जी (तत्कालीन) से मिल कर विषय का महत्व बताया. शायद, राज्यसभा में इस विषय पर तब यह पहली चर्चा थी. 22 मार्च 2017 को शून्यकाल में उसे उठाने...
More »भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय
दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...
More »छत्तीसगढ़-- अब थानों में दर्ज हो सकेगी ऑनलाइन शिकायत
रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब आम आदमी कहीं से बैठकर किसी भी थाने में शिकायत दर्ज करा सकता है। सीसीटीएनएस योजना में आम आदमी के उपयोग के लिए सिटीजन पोर्टल पर 9 सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें ऑनलाइन शिकायत, किराएदारों का वेरिफिकेशन, नौकरी के लिए पुलिस की ओर से जारी चरित्र प्रमाण पत्र, कर्मचारियों का वेरिफिकेशन को शुरू किया गया है। धरना-प्रदर्शन और जुलूस निकालने की अनुमति, पासपोर्ट के लिए...
More »मातृभाषा से संवरेगा शिक्षा का स्वरूप - एम. वेंकैया नायडू
भाषा समाज की आत्मा और मानवीय अस्तित्व को एक सूत्र में पिरोने वाला धागा है। यह चिरकाल से ही विचारों और भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है। शब्द मानवता के विश्व-दर्शन को निर्धारित करते हैं। हम शब्दों को अर्थों या उन विचारों से अलग नहीं कर सकते, जिन्हें हम दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं। शायद इसीलिए भारत के सुविख्यात महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी काव्यकृति 'रघुवंशम का आरंभ ही...
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