आज कालाजार दिवस है और हमारे लिए यह विचार करने का उचित मौका है कि हमने इस बीमारी के उन्मूलन के लिए अब तक क्या किया है. कालाजार एक खतरनाक परजीवी बीमारी है, जिससे बिहार की हजारों जिंदगियां प्रभावित हैं. 2015 में भारत में इसके 8,240 मामले सामने आये थे, जिसमें 76 फीसदी पीड़ित सिर्फ बिहार से थे और राज्य के 38 में से 33 जिलों में लोग इससे संक्रमित...
More »SEARCH RESULT
पहली बार किसी सरकार ने गांव के किसानों पर पूरा ध्यान दिया है- लार्ड मेघनाद देसाई
यह आम बजट आम आदमी का बजट है. बहुत ही अच्छा बजट है. सरकार ने इस बजट में गांव में रहनेवाले आम आदमी को राहत पहुंचाने का काम किया है. अब तक होता यह रहा है कि फायदा तो आम आदमी को जरूर पहुंंचता था, लेकिन उसका ज्यादातर लाभ शहरी आम आदमी उठा ले जाते थे. लेकिन, इस बार सरकार ने इस पर खास ध्यान रखा है. सरकार ने कृषि...
More »ग्रामीण भारत को ‘मेगा पुश’- प्रमोद जोशी
मोदी सरकार ने चार राज्यों के चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक जरूरतों का पूरा करनेवाला बजट पेश किया है. इसमें सबसे ज्यादा जोर ग्रामीण क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों पर है. राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत रखने के बावजूद सोशल सेक्टर के लिए धनराशि का इंतजाम किया गया ोहै. अजा-जजा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम भी इसका संकेत देते हैं. बजट का संदेश है कि अमीर ज्यादा...
More »छत्तीसगढ़ छोड़ने को मजबूर महिला वकील और पत्रकार-- आलोक प्रकाश पुतुल
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में रह कर काम करने वाली महिला पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम ने कहा है कि वे पुलिस और पुलिस नियोजित प्रताड़ना से तंग आकर जगदलपुर छोड़ रही हैं. उधर पिछले कई सालों से आदिवासियों की मुफ़्त क़ानूनी मदद करने वाली संस्था जगदलपुर लीगल एड की महिला वकीलों ने भी कहा है कि वो बस्तर पुलिस की प्रताड़ना के कारण जगदलपुर छोड़ने के लिए मजबूर हैं. इससे पहले पूर्व विधायक और...
More »बैंकों के फंसे कर्ज पर चुप्पी क्यों- देविन्दर शर्मा
हाल में एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट हैरान करने वाली थी। पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान 29 राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 1.14 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को न वसूल हो सकने वाले डूबत खाते में डाल दिया। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 7.32 लाख करोड़ रुपये का ऋण आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ दस कंपनियों को दिए गए था। ये रिपोर्टें ऐसे वक्त में आ रही हैं, जब आर्थिक...
More »