-कारवां, 1. शादाब आलम के लिए 24 फरवरी 2020 का दिन रोजमर्रे की तरह ही शुरू हुआ था. वह उत्तर दिल्ली के पुराने मुस्तफाबाद के अपने घर में, जहां वह पांच साल से भी ज्यादा वक्त से रह रहे थे, तड़के ही जग गए थे. तैयार होकर सुबह के 10 बजे वह स्मार्ट मेडिकल स्टोर के लिए रवाना हुए. वजीराबाद रोड पर वृजपुरी चौक के पास की इस दुकान में वह कई...
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भारत में न्याय अब एक ऐसा शब्द है जो अपना मतलब खोता जा रहा है
-सत्याग्रह, साल 2000 में अपने एक व्याख्यान में चर्चित अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन ने कहा था कि ‘भारत में अगर कोई गरीब है तो इसकी ज्यादा संभावना है कि वह किसी ग्रामीण इलाके में रह रहा होगा, अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर सामाजिक रूप से पिछले वर्ग से ताल्लुक रखता होगा, कुपोषित, बीमार या फिर कमजोर स्वास्थ्य वाला होगा, अनपढ़ या फिर कम पढ़ा-लिखा होगा और कुछ खास राज्यों (जैसे बिहार,...
More »बिहार में सोशल मीडिया की ताकत के बूते चुनावी एजेंडा सेट करने में आगे बीजेपी
-कारवां, 25 सितंबर को भारतीय निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 28 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच तीन चरणों में कराए जाने की घोषणा की. इससे पहले आयोग ने कोविड-19 महामारी में चुनाव करवाने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए थे और बिहार के लिए कुछ खास सिफारिशें की थीं. ये सिफारिशें फिजिकल प्रचार अभियान को बहुत हद तक प्रतिबंधित करती हैं. इन नियमों के बाद बिहार में राजनीतिक दल...
More »हाथरस मामले में अब जो हो रहा है वह भी किसी दुष्कर्म से कम नहीं है
-सत्याग्रह, बलात्कार जैसी घटना पर पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया उस समाज से अलग नहीं होती जिसे वह प्रशासित करता है. और ऐसे मामलों में किसी समाज की प्रतिक्रिया को समझने के लिए यह देखना ज़रूरी है कि वह अपनी बेटियों के साथ किस तरह का व्यवहार करता है. हाथरस मेरा अपना गृह ज़िला है. अपने दो दशकों के निजी अनुभव से मैं कह सकती हूं कि इस क्षेत्र में लड़की...
More »बाबरी फैसला बीजेपी के लिए सोने की मुर्ग़ी है. मथुरा, काशी से भारत का इस्लामिक इतिहास मिटाने के संकेत
-द प्रिंट, तीन सौ इक्यावन गवाह, 600 दस्तावेज़, बहुत से वीडियो कैसेट्स और अख़बारों की ख़बरें, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अभियुक्तों को- जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास और शिव सेना लीडर सतीश प्रधान वग़ैरह शामिल थे- दोषी ठहराने के लिए काफी नहीं थीं. प्रतीकवाद की राजनीति में ऊंची जगह होती है, ख़ासकर भारत में. 28 साल पहले क्या हुआ था,...
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