दिल्ली में सत्ता के गलियारों में खुसर-फुसर चल रही है. एक विधवा साठ पेज का बम लेकर घूम रही है. धुआं निकल रहा है. न कोई अपनी आंख हटा पा रहा है. न ही कोई छूने की हिम्मत कर रहा है. हर कोई सोच रहा है कि बम फटेगा तो किसका नंबर आयेगा. ईटानगर हो या दिल्ली, सरकार हो या न्यायपालिका, किसी से भी अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री...
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फसलों के लिए फ्लाइ ऐश बेहतर खाद
धनबाद : पावर प्लांटों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा फ्लाइ ऐश फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में वरदान साबित हो सकता है. धनबाद स्थित सिंफर के दो वैज्ञानिकों की खोज में यह दावा किया गया है. पढ़िए यह रिपोर्ट. केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर), धनबाद के वैज्ञानिकों की नयी खोज पावर प्लांटों एवं किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. अभी कचरा के रूप...
More »नीतियां सही, पर समय गलत-- डा. भरत झुनझुनवाला
बीते बजट की अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने सराहना की है. बावजूद इसके इस पाॅलिसी के सफल होने में संदेह है. वर्तमान समय में यह पाॅलिसी अनुपयुक्त है जैसे मातम के समय शहनाई अनुपयुक्त होती है. वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छोटे करदाताओं को छूट दी है. छोटे करदाताओं को पूर्व में 2.5 लाख रुपये की छूट थी, जिसे बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर दिया है. इस छूट के बाद...
More »नौकरशाही पर पहरेदारी का प्रश्न - हृदयनारायण दीक्षित
भ्रष्टाचार से मुक्ति भारत की राष्ट्रीय अभिलाषा है। इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी के 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा वाले बयान की अक्सर मिसाल दी जाती है। मोदी के तीन साल के कार्यकाल में केंद्र सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया, मगर इस बीच प्रशासन से जुड़े तमाम बड़े नाम भ्रष्टाचार की जद में फंसते नजर आए। सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा पर...
More »लोकतंत्र पर उठते सवाल-- अनुपम त्रिवेदी
देश में चुनावी माहौल है. कुछ प्रदेशों में चुनाव हो रहे हैं और कुछ में शीघ्र होनेवाले हैं. लगभग हर छह माह में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं और इन्हें लोकतंत्र के पर्व की संज्ञा दी जाती है. भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक कैलेंडर में यूं ही रोज कोई न कोई त्योहार होता है. उन त्योहारों में चुनाव रूपी यह सरकारी त्योहार भी जुड़ गये हैं. सभी यह त्योहार...
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