जमीन अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मसले पर मोदी सरकार की दुविधा साफ देखी जा सकती है। गुलामी के प्रतीक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह यूपीए सरकार ने जो नया कानून बनाया था, उसे भाजपा का भी समर्थन मिला था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे बदलना चाहती है। पर सवाल है कि क्या विकास को गति देने की राह में भूमि अधिग्रहण कानून सबसे बड़ा रोड़ा...
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रिजर्व बैंक गवर्नर के अधिकार में कटौती के मुद्दे पर सरकार हटी पीछे
नयी दिल्ली : नीतिगत ब्याज दर तक करने के मामले में रिजर्व बैंक के गवर्नर के अधिकार में कटौती के प्रस्ताव वाले विधेयक के मसौदे पर सरकार पीछे हट गई है और उसने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं है कि वह केंद्रीय बैंक के गवर्नर के अधिकारों में कमी करना चाहती है. जल्दबाजी में बुलाए गये एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त सचिव राजीव महर्षि के लिए यह स्पष्टीकरण...
More »पीछे हटने को तैयार है मोदी सरकार? - परंजॉय गुहा ठाकुरता
यह तो खैर पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि संसद का मानसून सत्र न केवल हंगामाखेज रहेगा, बल्कि वह पूरी तरह से 'धुल" भी सकता है। अब जब ऐसा वस्तुत: होता नजर आ रहा है तो यह किसी के लिए भी अप्रत्याशित नहीं है। सवाल यही था कि क्या इसके बाद मोदी सरकार अपनी नीतियों में बुनियादी बदलाव लाने को मजबूर होगी। संसद में विधायी कार्य ठप...
More »सहकारी संघवाद के रास्ते पर- एम के वेणु
एनडीए सरकार ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अपने आक्रामक रुख में ठीक ही नरमी लाते हुए कहा है कि प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा के लिए बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में शामिल सभी मुख्यमंत्रियों के विचारों पर ध्यान दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस विधेयक पर पहले ही संसद की काफी ऊर्जा खर्च हो चुकी है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर काफी राजनीतिक आक्रामकता दिखाने (अब तक तीन बार अध्यादेश...
More »भूमि अधिग्रहण : संसदीय समिति से ‘जानबूझकर’ गायब रहे अधिकारी
भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर गठित संसद की संयुक्त समिति में भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम दलों के सदस्यों को हैरानी का सामना करना पड़ा। दरअसल, संसद की संयुक्त समिति की बैठक से कई मंत्रालयों के सचिव गायब रहे। इससे बैठक को टालना पड़ा। अब समिति के लिए 27 जुलाई तक रिपोर्ट देना असंभव हो गया। लिहाजा समिति के अध्यक्ष एस एस आहलूवालिया ने रिपोर्ट जमा करने के लिए तीन अगस्त तक...
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