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विकास की बंद गली- भारत डोगरा

जनसत्ता 2 फरवरी, 2012 : हाल के वैश्विक संकट ने विश्व-स्तर पर लोगों को नए सिरे से आर्थिक नीतियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया है। अब आम लोग और विशेषज्ञ दोनों निजीकरण, बाजारीकरण और भूमंडलीकरण पर आधारित मॉडल की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। आम लोगों की बेचैनी की अभिव्यक्ति सबसे प्रबल रूप में आक्युपाइ द वॉल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में हुई है। दूसरी ओर, इस बार...

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खुदरा खैर करे- सुधीरेंद्र शर्मा(तहलका,हिन्दी)

  रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मगर क्या यह हमारे हर मर्ज की दवा है जैसा कि सरकार हमें समझाती रही है? सुधीरेंद्र शर्मा का आकलन  जाकी रही भावना जैसी एफडीआई देखी तिन तैसी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर छिड़ी राजनीतिक रस्साकशी ने तुलसीदास की इन पंक्तियों को पुनः सार्थक किया है. एकल ब्रांड कारोबार में 51 और मल्टी-ब्रांड कारोबार में 100...

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जमीन से जुड़े जरूरी सवाल : हर्ष मंदर

स्वतंत्रता के इतने सालों के बाद भी लाखों देशवासी और उनके संघर्ष हमारी नजरों से ओझल हैं। भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण लाखों लोगों ने अनगिनत कष्ट सहे, लेकिन उनकी तकलीफों की कहानी कभी भी पूरी तरह सामने नहीं आई। ‘विकास’ की कीमत किसानों और खेतिहर श्रमिकों की अनेक पीढ़ियों को चुकानी पड़ी है। उन्हें बलपूर्वक अपनी धरती से बेदखल करने का अर्थ है अपने सबसे निर्धन अन्न उत्पादकों को सताना, ताकि...

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बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश

फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...

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महिला सशक्तिकरण का यक्ष प्रश्न- डॉ. ऋतु सारस्वत

नई दिल्ली [डॉ. ऋतु सारस्वत]। भारत अपनी स्वतंत्रता के छह दशक बिता चुका है और इन वर्षो में भारत में बहुत कुछ बदला है। विश्व के सबसे मजबूत गणतंत्र में सभी को अपनी इच्छा से जीने, सोचने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता मिली है, जिसका हम उपभोग भी कर रहे हैं। हालाकि एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी इस सुखानुभूति से वंचित है और वह...

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