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अस्पताल के लिए गर्भवती पत्नी को पीठ पर लादकर 40 किमी चला आदिवासी

ईएनएस व एजंसियां, कोट्टायम। एक आदिवासी युवक अपनी सात महीने की गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए उसे कंधों पर लादकर भारी बारिश में जंगल में 40 किलोमीटर तक भटकता रहा। पूरे दिन चलने के बाद उसे एक गाड़ी मिली जिससे वह अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचा। वहां उसकी पत्नी तो बच गई। लेकिन डाक्टर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को नहीं बचा पाए। कोन्नी के जंगल में स्थित...

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अर्थशास्त्र की ऊंची मीनार से कुपोषण मिटाने की यह कवायद....

भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...

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अब ना रहें अनचाही हमारी बेटियां- बाबूलाल नागा

हाल ही में 2 मई को चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी इकाई की स्टेट विंग ने जयपुर शहर में दो स्थानों पर स्टिंग आपरेशन कर भ्रूण परीक्षण करते हुए दो डाॅक्टरों को रंगे हाथों पकड़ा। सांगानेर में फागी रोड पर किरण नर्सिंग होम व आदर्शनगर के अनिल हाॅस्पिटल में भ्रूण परीक्षण किया जा रहा था। विभाग की तमाम सख्ती के बावजूद भी भू्रण परीक्षण पर रोक नहीं लग पा रही है। कन्याओं की हत्या में अव्वल होने का...

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स्वास्थ्य नीति की बीमारी-भारत डोगरा

जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...

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नक्सली इलाके में आज भी बच्चियों की किलकारियों की गूंज से सूने हैं कान!

रायपुर. नई जनगणना में चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। छत्तीसगढ़ में बच्चियों की संख्या कम हो रही है। शून्य से छह आयुवर्ग में प्रति हजार लड़कों के पीछे ९६९ बच्चियां हैं, जबकि बीस साल पहले यह संख्या ९८४ थी। हालांकि एक दशक में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात जरूर बढ़ा है।    नई जनगणना के अनुसार महिला-पुरुष का अनुपात 10 सालों में 989 से बढ़कर 991 प्रति हजार हो गया...

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