कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. इसी तरह अपने यहां केंद्र सरकार की असली चाल-ढाल पहले दो-ढाई साल में ही दिख जाती है. बाद का आधा कार्यकाल तो अगले चुनावों का माहौल बनाने में चला जाता है. नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तो यह भी दिक्कत है कि कार्यकाल के तीसरे साल में उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे अहम राज्यों के विधानसभा चुनाव होने...
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अब चूके तो हाथ धो बैठेंगे पानी से- अनिल जोशी
पूरे देश में पानी को लेकर झगड़े शुरू हो चुके हैं। कहीं धारा-144 लगी है, तो कहीं बंदूकों के साये में पानी की चौकीदारी हो रही है। जगह-जगह पानी पर ताले लगे हैं। कई जगह रसूखदारों और दबंगों ने पानी पर अपना अधिकार जमा लिया है। पहले फसल चौपट हुई थी और अब लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा। पानी तो खैर पहले भी बिकता था, अब...
More »मकसद, भविष्य गढ़ना!-- हरिवंश
बच्चों के खिलाफ हर दिन हिंसा होती है. चाहे वह पारंपरिक रूप में हो या अनुशासन के रूप में. इसे आज ही समाप्त किया जाना चाहिए. बच्चों के खिलाफ हिंसा की समाप्ति के लिए झारखंड में एक अभियान ‘‘अब और नहीं. मत छुपाओ, आवाज उठाओ'', की शुरुआत की गयी है. इस अभियान का मकसद, भविष्य गढ़ने से है. ‘बच्चों को हिंसा से बचाने' की जागरूकता, कोशिश या अभियान एक नयी...
More »आरक्षण की आग में झुलसता समाज- नीरजा चौधरी
कृषक जातियों में बेचैनी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि खेती-किसानी अब मुनाफे का काम नहीं रही। उनके बच्चों के पास तकनीकी तालीम भी नहीं है, जिससे वे नए जमाने की नौकरियां पा सकें। ऐसे में राजनीतिक दांव-पेच उन्हें और अधीर कर रहे हैं। जाति-युद्ध की तरफ बढ़ती आग को रोकने के लिए फौरन कदम उठाए जाने चाहिए। हाल के घटनाक्रमों पर पेश है वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का विश्लेषण पिछले...
More »पहचान का संकट 99 प्रतिशत समाप्त
मानव की पहचान स्थापित करना बड़ा विचार है। इससे न सिर्फ व्यक्तिगत व सामाजिक स्तर पर कई समस्याएं सुलझीं बल्कि लंबे अरसे से समस्या बनी सभ्यतागत पहेलियां भी सुलझीं। साधारण शारीरिक चिह्नों से शुरू हुआ यह सफर फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतलियों से होता हुआ डीएनए और डिजिटल पहचान तक पहुंचा है। पिछले कुछ दशकों में कंप्यूटर प्रोसेसिंग में तरक्की की बदौलत हमारी पहचान स्थापित करने के लिए ऑटोमेटेड बायोमेट्रिक सिस्टम आए...
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