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पीडीएस में चहुंओर भ्रष्टाचार - जस्टिस वाधवा समिति

सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय की न्यायमूर्ति (रिटा.) वाधवा की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में पीडीएस में व्याप्त भारी खामियों की तरफ इशारा किया है। समिति का कहना है कि पीडीएस के तहत खाद्यान्न के उपार्जन और वितरण की पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार में गले तक डूबी हुई है और इससे गरीबों को ना के बराबर फायदा हो रहा है। समिति ने पीडीएस व्यवस्था की...

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एक माह में पता चलेगा, देश में गरीब कितने!

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में गरीबों की संख्या कितनी है? इस सवाल के जवाब पर सरकार में फिलहाल असमंजस है। लिहाजा, उसने घोषणा की है कि अगले एक माह में गरीबों की संख्या के आंकड़े राज्यवार तय कर लिए जाएंगे। नए आंकड़ों के अनुसार ही राज्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज का अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा। मंगलवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गरीबों की संख्या का मुद्दा फिर उठा। विभिन्न सदस्यों ने...

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महंगाई के खिलाफ खोखली पहल

नई दिल्ली [घनेंद्र सिंह सरोहा]। आईपीएल, सानिया की शादी और मोदी-थरूर विवाद के बीच बीते दिनों एक खबर महंगाई पर भी आई थी। अक्सर विपक्ष कहता है कि मीडिया हमेशा बुनियादी मुद्दों को छोड़ ग्लैमरस चीजों के पीछे भागता है। तो मंहगाई पर कटौती प्रस्ताव लाने वाला विपक्ष संसद में शशि थरूर और उनकी महिला मित्र सुनंदा के बीच कौन-सा बुनियादी मुद्दा ढूंढ़ रहा है। यहा विपक्ष या मीडिया की गलतिया ढूंढ़ने का इरादा...

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‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...

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धरती कहे पुकार के

ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...

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