दो दशक से अधिक समय से वैश्विक संधि की अनवरत विफल कोशिशों के बाद एक बार फिर उम्मीदों के घोड़ों पर सवार संयुक्त राष्ट्र के वार्ताकार सोमवार से दक्षिण अमेरिका में जमा हुए हैं। उनकी कोशिश यही है कि इस बार बात बन जाए। हालांकि ग्रीन हाउस गैस के मौजूदा उत्सर्जन में कटौती करने संबंधी समझौते के बावजूद वैज्ञानिकों का आकलन है कि दुनिया की आबोहवा तेजी से खराब होती...
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नदी जोड़ने पर क्यों आमादा हैं हम- ज्ञानेन्द्र रावत
देश भर की नदियों को जोड़ने की बात फिर तेज हो गई है। इसे समय की जरूरत बताते हुए कहा जा रहा है कि इससे देश की 90 फीसदी खेती योग्य जमीन को सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। पिछली सरकार के समय यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। हालांकि यह भी सच है कि योजना आयोग इस पूरी योजना को अदूरदर्शी व अव्यावहारिक बता चुका है। पर्यावरण की...
More »सवा अरब लोगों के लोकतंत्र में सवा करोड़ से ज्यादा 'गुलाम'!
बात विरोधाभासी लग सकती है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाले भारत में गुलामी की जिन्दगी जीने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में गुलामी के आधुनिक रुपों से पीड़ित लोगों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख 29 हजार है।(देखें नीचे दी गई लिंक) ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2014 नामक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 30 लाख 24 हजार, पाकिस्तान में...
More »विश्व एड्स दिवस आज, कहां गए नौ हजार एचआईवी पीड़ित!
भोपाल (नप्र)। संकोच और डर एचआईवी/एड्स पीड़ितों पर भारी पड़ रहा है। जानलेवा बीमारी होने के बाद भी मरीज इलाज से बच रहे हैं। इतना ही नहीं इलाज के लिए एक बार आ भी गए तो बीच में ही दवा छोड़ देते हैं, जिससे उनकी बीमारी और खतरनाक हो जाती है। मध्यप्रदेश में 2005 से लेकर अब तक 39114, एचआईवी पाजीटिव खोजे जा चुके हैं। इनमें 40 फीसदी से ज्यादा को...
More »गरीब पर शक- विष्णु नागर
दिल्ली के जोहरीपुर इलाके के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार के सत्रह वर्षीय लड़के अनुपम गुप्ता ने कुछ दिन पहले साइकिल चोरी का आरोप लगाए जाने और पुलिस द्वारा इस वजह से उसे परेशान किए जाने पर आत्महत्या कर ली। यों, आंकड़ों के मुताबिक 2012 में एक लाख पैंतीस हजार से कुछ अधिक आत्महत्याएं हुर्इं। यह वैसी ही घटनाओं में एक है। अनुपम के माता-पिता अपनी तीन बेटियों और अपने इस...
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