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मुलायम के समय हुआ भू-आवंटन रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली.  यूपी की मुलायम सरकार द्वारा 2005 में समाजवादी पार्टी के नेताओं और नौकरशाहों को किया गया भू-आवंटन रद्द नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। जस्टिस आफताब आलम की अध्यक्षता वाली बेंच ने पेशे से वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया। बेंच को राज्य सरकार ने बताया था कि मुलायम सरकार द्वारा आवंटित जमीन के लाभान्वितों में चतुर्वेदी भी...

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यह नया कितना पुराना- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 14 अगस्त, 2012: देश को नए मंत्री मिल गए हैं। देश की गहरी समस्याओं के जनक रहे पुराने लोग नई पोशाकों में आ खड़े हुए हैं। देखते हैं तो उनके हाथों में तलवारें भी वही बाबाआदम के जमाने की हैं- कागजी! सारे देश में सूखा पड़ा है और अभी अचानक बिजली चले जाने का नया रोग भी गहरा अंधेरा बनाने लगा है। इसे अगर एक प्रतीक से जोड़ कर...

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आरटीआई कानून की उड़ रही धज्जियां, नहीं मिलती सूचनाएं

जींद. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अब लोगों को सूचना नहीं दिला पा रहा है। आए दिन किसी ना किसी विभाग से सूचना नहीं मिलने की शिकायतें आला अफसरों के पास पहुंच रही हैं, लेकिन कार्रवाई तब भी नहीं होती। एक साल से भी ज्यादा समय तक विभागों के चक्कर काटने के बाद लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वे शिकायत करें तो किससे? केस-1 छह माह से नहीं मिली सूचना सफीदों के वार्ड...

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लाठी का लोकतंत्र - अनिल चमडिया

जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: छत्तीसगढ़ के बीजापुर के तीन गांवों के सत्रह आदिवासियों के केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस की गोलियों से मारे जाने की घटना पर दिल्ली में आयोजित एक सभा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जो कुछ कहा वह ऐसी तमाम घटनाओं पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि 28 जून 2012 की रात राजपेटा, सारकीगुड़ा और कोत्तागुड़ा में नक्सलियों के साथ...

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पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी

हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...

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