पटना: पशुपालन किसानों के आय का जरिया हैं। खेती किसानी करने वालों की नकद आमदनी का जरिया है दुग्ध उत्पादन। इसे आमदनी कहें या क्रांति इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। मूल बात है कि किसान जो दूध तैयार करते हैं, उन्हें उनका सही मूल्य मिले। बाजार उपलब्ध हो। और इसी बाजार को किसानों के द्वार तक लाने के लिए अब बिहार सरकार ने प्रयास शुरू कर दिया है बिहार...
More »SEARCH RESULT
देशप्रेम और देशद्रोह के बीच बजट-- पुष्पेश पंत
किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना अौर उसे पास कराना एक बड़ी चुनौती होती है. यदि यह वित्तीय विधेयक पास नहीं होता, तो इसे सदन के विश्वास का अभाव समझा जाता है अौर सरकार गिर सकती है. अगर बजट पास भी हो जाये अौर उसके प्रावधानों से जनता में असंतोष फैलता है, तब भी किसी सरकार के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखना कठिन होता जाता है. हर नयी...
More »बेहाल किसान और ढेर सारी योजनाएं- जयंतीलाल भंडारी
इस समय देश में किसानों और कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। ग्रामीण इलाकों में खपत में कमी और देहातों में बढ़ती परेशानी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि खराब मौसम की मार के चलते कृषि क्षेत्र का संकट इस साल और गहराने की आशंका है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार के असामान्य व्यवहार और कीमतों में गिरावट...
More »विकास के नाम पर राज्य की लूट!-- आकार पटेल
दस साल पहले, 2006 में, लता मंगेशकर ने घोषणा की थी कि अगर मुंबई के पेडर रोड पर स्थित उनके भवन के सामने फ्लाइओवर बनेगा, तो वह भारत छोड़ कर चली जायेंगी. पहले उन्होंने कहा कि इससे उनकी आवाज पर असर पड़ेगा, और बाद में तर्क दिया कि अगर सड़क पर खुदाई की गयी, तो कई इमारतों की नींव हिल जायेगी. बहरहाल, वह फ्लाइओवर नहीं बना. इस सप्ताह मुझे भारत में...
More »आधी अधूरी खाद्य व्यवस्था-- जाहिद खान
तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...
More »