देवेन्द्र कुमार गौड़, सोईंकलां। रोज सुबह 8 बजे के करीब पूरा गांव खाली बर्तनों के साथ कुल्हाड़ी और लाठियां लेकर पार्वती नदी के किनारे इकट्ठा होता है। इसके बाद कुल्हाड़ी, लाठी या अन्य नुकीले हथियारों से नदी किनारे पानी में हलचल मचाना शुरू करते हैं। जब मगरमच्छ-घड़ियाल भाग जाते हैं तब एक-एक करके खाली बर्तनों को नदी से भरते हैं। पीने के पानी के लिए यह जद्दोजहद श्योपुर तहसील के...
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हिमालय नीति की जरूरत--- वीरेंद्र कुमार पैन्यूल
एक हिमालय नीति की जरूरत दशकों से महसूस की जा रही है। पूरे विश्व ने व संयुक्त राष्ट्र ने भी आधिकारिक रूप से यह माना है कि पहाड़ों के विकास की अलग रणनीति और तौर-तरीके होने चाहिए। पूर्व में अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष भी मनाया गया था। अमेरिका में तो पर्वतीय विकास पर काम करने के लिए अलग से एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। इसी क्रम में हिमालय के लिए एक अलग...
More »कहीं कटाव तो कहीं निगलने को बेताब हैं नदियां, घाघरा में समाई सैकड़ों एकड़ जमीन
सिताबदियारा, सारण. जिले में नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ाने के साथ ही लोगों को यह भय सताने लगता है कि नदियां कहीं तटबंधों को तोड़ कर उनके आशियाने को न तबाह कर दें। हालांकि हर साल सरकार और जिला प्रशासन इस बात का ढिंढोरा जरूर पिटता है कि तैयार पूरी हो गई है। इस बार कहीं से किसी भी तटबंध पर कोई खतरा नहीं है। लेकिन...
More »नदी पुनर्जीवन ही विकल्प-- सुरेश उपाध्याय
माना जाता है कि सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है। लेकिन हम जिस दौर में जी रहे हैं और विकास की जिस अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए हैं, उसने सबसे पहला हमला हमारी नदियों पर ही किया है। एक ओर नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है तो दूसरी ओर कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। नदियों के शुद्धीकरण...
More »जी-20 की राह--- रोहित कौशिक
जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में जी-20 का बारहवां शिखर सम्मेलन पिछले हफ्ते, कई तरह के द्वंद्वों का सामना करते हुए, संपन्न हो गया। एक द्वंद्व अमेरिका तथा बाकी सदस्य-देशों के बीच पेरिस जलवायु समझौते को लेकर था। एक दूसरा द्वंद्व रूस और अमेरिका के बीच था, अमेरिका की इस शिकायत की बिना पर, कि रूस ने राष्ट्रपति चुनाव के समय उसकी घरेलू राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश क्यों की।...
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