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जलवायु परिवर्तन का नतीजा हैं ये त्रासदियां-- अभय कुमार

राजधानी चेन्नै और तमिलनाडु के अन्य हिस्सों में भारी बारिश का सिलसिला जारी है. इस महानगर के हालिया इतिहास में वर्षा का यह स्तर अभूतपूर्व है. आम तौर पर तमिलनाडु में वर्ष के इन महीनों में तेज बारिश होती है. इसका कारण उत्तर-पूर्वी मॉनसून है जिसे वापस लौटता हुआ दक्षिण-पश्चिम मॉनसून भी कहा जाता है. हिमालय से आती ठंडी हवाएं बंगाल की खाड़ी से नमी पाती हैं और दिसंबर से...

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कैबिनेट का फैसला: सूखाग्रस्त घोषित हुआ पूरा झारखंड

रांची: झारखंड सरकार ने पूरे राज्य को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है़ इसके लिए फसल को हुए नुकसान और अनावृष्टि को आधार बनाया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया़ कैबिनेट ने राज्य में सूखे से संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने और केंद्रीय दल से स्थिति का आकलन कराने का अनुरोध करने का फैसला किया है. राज्य सरकार केंद्र से नेशनल...

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57 साल में 225 गुना बढ़ी सैलरी..- धर्मेन्द्रपाल सिंह

करीब पौने दो साल की मशक्कत के बाद केंद्र द्वारा गठित सातवें वेतन आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है उससे भारत सरकार के सैंतालीस लाख कर्मचारियों और बावन लाख पेंशनभोगियों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचेगा। परंपरा के अनुसार मामूली कतर-ब्योंत के बाद देश भर की राज्य सरकारें, स्वायत्तशासी संस्थान और सरकारी नियंत्रण वाली फर्म भी वेतन आयोग को अपना लेती हैं। इस हिसाब से इसका असर संगठित क्षेत्र के दो करोड़...

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किसमें कितना है दम-- कोका-कोला और ग्राम पंचायतों की जंग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी अखाड़े के रुप में पिछले साल सुर्खियों में रहा बनारस इस साल जनसंघर्षों के कारण चर्चा में है.   इलाके के 18 ग्राम पंचायतों ने उत्तरप्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि मेहदीगंज स्थित कोका-कोला संयंत्र को भूजल के दोहन से तत्काल रोका जाय.(देखें नीचे दी गई लिंक).   भूजल के दोहन की मांग करने वाले ग्राम पंचायत मेहदीगंज स्थित कोका-कोला बॉटलिंग संयंत्र...

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हिमालयी विकास का मॉडल- सुरेश भाई

हिमालय बचाओ! देश बचाओ! सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि यह हिमालय क्षेत्र में भावी विकास नीतियों को दिशाहीन होने से बचाने का भी रास्ता है। चिपको आंदोलन के दौरान पहाड़ की महिलाओं ने नारा दिया कि मिट्टी, पानी और बयार! जिंदा रहने के आधार! और ऊंचाई पर पेड़ रहेंगे! नदी ग्लेशियर टिके रहेंगे! ये तमाम नारे पहाड़ के लोगों ने दिए हैं। हिमालयी क्षेत्रों के लोगों, सामाजिक अभियानों तथा आक्रामक...

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