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देश के बुजुर्ग: घटती सरकारी सहायता और बढ़ती आबादी

बात चाहे जितनी हैरतअंगेज लगे लेकिन तथ्य यही है कि देश में एक तरफ बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी तरफ उनकी मदद के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों में कमी आई है.   बुजुर्गों की हालत पर हाल में जारी एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में साठ साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 2001 के 7.4 फीसद से बढ़कर 2011 में 8.6 फीसद हो गई है...

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बेवजह पति से अलग रह रही पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं

इंदौर। कुटुंब न्यायालय ने द्वारकापुरी कॉलोनी में माता-पिता के साथ रह रही महिला का आवेदन इस आदेश के साथ खारिज कर दिया कि बेवजह घर छोड़कर पति से अलग रह रही पत्नी अंतरिम भरण-पोषण की हकदार नहीं है। गंगानगर (खरगोन) निवासी शैलेंद्र पिता सुरेशचंद्र धनारे की पत्नी मनीषा विवाद के बाद पति को छोड़कर द्वारकापुरी इंदौर में माता-पिता के पास रह रही है। उसने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा,...

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बायो तकनीकी खेती : स्वास्थ्य चिंताओं के बीच फील्ड ट्रायल की मंजूरी

स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित असर को लेकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) खेती के समर्थन और विरोध में जारी बहस के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने फील्ड ट्रायल के लिए आये प्रस्तावों में से करीब 80 फीसदी को हाल में हरी झंडी दे दी है. मई, 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के बाद से इस संदर्भ में हुई आठ बैठकों के बाद पिछले दिनों यह मंजूरी दी गयी.  ...

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कितने बदल रहे हैं हमारे गांव-- आर विक्रम सिंह

समस्याएं चिह्नित करना एक बात है, समाधान के रास्ते खोजना दूसरी बात। हमारे गांवों में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, बीमारियां हैं, जमीनों के विवाद, मुकदमे हैं। जात-पांत की सामाजिक समस्याएं बरकरार हैं। हां, शोषण का वह रंग अब नहीं है, जो प्रेमचंद के उपन्यासों में मुखर होता है। कथित उच्च वर्ग में श्रम से अरुचि, दलित वर्ग में शिक्षा से अरुचि भी वहीं की वहीं है। नगरों की ओर पलायन...

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मिलावटी दूध की बहती गंगा - भवदीप कांग

शुरुआत इसी विरोधाभासी तथ्य से करें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है! पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अब यह 322 ग्राम प्रतिदिन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भारत में दूध की मांग व आपूर्ति का तंत्र अच्छी तरह विकसित हो चुका है तो हम मिलावटी दूध पीने को मजबूर क्यों हैं?...

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