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बिहार श्रमिक महिला आयोग का गठन शीघ्र: मुख्यमंत्री

पटना राज्य के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति जानने के लिए सरकार शीघ्र ही बिहार श्रमिक महिला आयोग का गठन करेगी। आयोग निर्धारित अवधि में असंगठित क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति का अध्ययन कर, अपना सिफारिश सरकार को देगा। आयोग की सिफारिशों पर सरकार समुचित रूप से कदम उठायेगी। ये बातें सोमवार को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सामाजिक संगठन सेवा की ओर से श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित समारोह में...

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इस हौसले का जवाब नहीं

गोरखपुर [संवाद सहयोगी]। उनका पैर नहीं है। मगर मनो बोझ लादे ठेला लेकर चलते हैं। शरीर चौथेपन में पहुंचा है मगर हौसला ऐसा कि जवान भी मात खा जायं। 65 वर्ष की उम्र है, यह काम नहीं आराम की उम्र है पर कुछ पूछिये तो मुस्कराते हुए कहते हैं अभी तो मैं जवान हूं। यह कहानी रामचंद्र चौहान की है। जिनका एक पैर नहीं है। एक पैर से ही ठेला खींचते हैं। वह भी...

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एएचआरसी- मध्यप्रदेश में २८ आदिवासी बच्चों की कुपोषण से मौत

एशियन ह्यूमन राइटस् कमीशन(एएचआरसी) की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मध्यप्रदेश में 28 बच्चों ने कुपोषण के दुष्चक्र में दम तोड़ दिया है। एएचआरसी के अनुसार पीडित बच्चों के परिवार सरकारी योजनाओं के तहत भोजन और स्वास्थ्य के मद में फिलहाल दी जा रही सहायता से भी वंचित हैं। एएचआरसी ने अपनी सूचना का आधार मध्यप्रदेश की एक संस्था लोक संघर्षमंच और सूबे में चलने वाले भोजन के अधिकार अभियान की एक...

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सीईओ समेत 10 लोगों पर आरोप पत्र दाखिल

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के चिमनी हादसे में बालको के मुख्य कार्याधिकारी समेत 10 लोगों के खिलाफ श्रम न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया है। यह आरोप पत्र छत्तीसगढ़ औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग दायर किया है। विभाग के उपसंचालक मनीष श्रीवास्तव ने रविवार को यहां बताया कि चिमनी हादसा मामले में कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 105 के तहत बालको सीईओ गुंजन गुप्ता, प्रोजेक्ट मैनेजर...

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चंबा में नहीं थम रहा बाल श्रम

चंबा : प्रशासन व विभाग के नाक तले पनप रही बाल मजदूरी थमने का नाम नहीं ले रही है। दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित समाचार के पश्चात जिला विभाग हरकत में तो आया लेकिन औपचारिकता से आगे नहीं बढ़ पाया।जहां सरकार शिक्षा, स्वस्थ्य व बाल सुरक्षा हेतु कई योजनाएं एवं कानून बना रही हैं। वहीं हकीकत में ये सभी योजनाएं दायरों तक सीमित हो कर रह गई हैं। जहां बच्चों के हाथों किताबें होनी चाहिए वहीं...

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