जनसत्ता 11 अक्तूबर, 2013 : कई गंभीर घटनाएं हो रही हैं, लेकिन लोगों का मानस इस तरह का बना दिया गया है कि वे किसी विषय के इतिहास को लेकर तो बोलते हैं, उसके मौजूदा हालात पर कुछ सुनने को तैयार नहीं होते। कई बार लगता है कि सुनने की शारीरिक प्रक्रिया को भी एक खास तरह के ढांचे में ढाल देने में बाजारवादी विचारों को कामयाबी मिली है। तात्कालिक संदर्भ...
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खाद्य कानून की सफलता उत्पादन बढ़ाने पर निर्भर करती है: शरद पवार
नई दिल्ली। मंत्री शरद पवार ने आज इस बात से इन्कार किया कि खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर उनकी कोई आपत्ति है। पर उन्होंने कहा कि देश में अनाज का उत्पादन बढा कर दुनिया के इस सबसे बड़े सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाया जाना चाहिए न कि अनाज का आयात कर के। उन्होंने कहा कि चूंकि खाद्य सब्सिडी पर खर्च प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 1,000 रूपए तक पहुंच गया है...
More »सारा दोष सरकार का ही नहीं है - आकार पटेल
भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या क्या है? क्या हुआ, जो विकास दर मुंह के बल गिरी? अगर आप इस विषय पर कुछ पढ़ें, तो आप इनमें से किसी एक नतीजे पर पहुंचेंगे- हमारी संसद आर्थिक सुधारों के लिए जरूरी कानून बनाने में नाकाम रही, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह प्रशासन संभालने में नाकाम रहे, उच्च स्तर की नौकरशाही फाइलों को आगे बढ़ाने में अड़ियल रवैया अपनाती रही, भ्रष्टाचार, चालू खाते का घाटा, जो...
More »खाद्य या यूपीए-सुरक्षा बिल!- प्रमोद जोशी
जिस विधेयक को लेकर राजनीति में ज्वालामुखी फूट रहे थे, वह खुशबू के झोंके सा निकल गया. पक्षियों-विपक्षियों में उसे गले लगाने की ऐसी होड़ लगी, जैसे अपना बच्चा हो. आलोचना भी की तो जुबान दबा कर. यों भी उसे पास होना था, पर जिस अंदाज में हुआ उससे कांग्रेस का दिल खुश हुआ होगा. जब संसद के मॉनसून सत्र के पहले सरकार अध्यादेश लायी तो वृंदा करात ने कहा था,...
More »खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पास, विपक्ष ने कहा 'वोट सुरक्षा विधेयक'
नई दिल्ली। लंबे इंतजार और गतिरोध के बाद आखिरकार ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक सोमवार को लोकसभा में पास हो गया। विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विधेयक पास होने के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सदन में मौजूद थे। विधेयक पास करने से पहले सदन ने विपक्ष की ओर से पेश संशोधनों को नामंजूर कर दिया। इस विधेयक में देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराने का प्रावधान...
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