-डाउन टू अर्थ, भारत में कोविड-19 के नए डेल्टा वेरिएंट एवाई.4.2 के 18 मामले सामने आ चुके हैं। यह जानकारी 10 दिसंबर को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में दी। लोकसभा में सदस्य कलानिधि वीरास्वामी ने पूछा था कि क्या सरकार को पता है कि भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर के डर के बीच डेल्टा वेरिएंट एवाई.4.2 के नए मामले सामने आए हैं।...
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क्यों चंपारण और खेड़ा के किसान आंदोलनों से बड़ा है मौजूदा किसान आंदोलन
-रूरल वॉइस, आज यानी 11 दिसंबर को गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ और हवन के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चों से अपने घरों को वापसी करेंगे। 378 दिन चला किसान आंदोलन देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐसा मुकाम बना चुका है जिसके दोहराये जाने की कल्पना अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में अध्यादेशों के जरिये लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के...
More »जम्मू कश्मीर: वन क्षेत्र बढ़ाने के वादे के उलट प्रशासन ने सशस्त्र बलों को अतिरिक्त वन भूमि दी
-द वायर, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने साल 2019 से लेकर अब तक 250 हेक्टेयर से अधिक पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील भूमि को सशस्त्र बलों को हस्तांतरित की है. पांच जनवरी साल 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था. यह कदम हाल ही में सीओपी26 (COP26) जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत द्वारा किए गए उस वादे के विपरीत है, जिसमें सरकार ने...
More »यूपी: सबसे ज़्यादा UAPA के तहत गिरफ़्तारियां, क्या विरोधी आवाज़ों को दबाने की कोशिश है?
-सोनिया यादव, "संयुक्त प्रवर समिति को एक गधा सौंपा गया था और समिति का काम था उसे घोड़ा बनाना लेकिन परिणाम यह निकला है कि वह खच्चर बन गया है। अब गृह मंत्रालय का भार ढोने के लिए तो खच्चर ठीक है लेकिन अगर गृहमंत्री यह समझते हैं कि वह खच्चर पर बैठकर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की लड़ाई लड़ लेंगे, तो उनसे मेरा विनम्र मतभेद है।" ये बातें साल 1967...
More »कृषि कानूनों का रद्द होना तो मलाई है, लेकिन खुरचन है इस आंदोलन की दूरगामी उपलब्धि
-द प्रिंट, ‘तो, आखिर जहां से चले थे फिर से हम वहीं पहुंच गये, है ना ? आखिर हमारा हासिल क्या रहा ?’ तीन कृषि कानूनों के खात्मे पर मनाये जा रहे जश्न से कुछ-कुछ खिन्न नजर आ रहे एक युवा कार्यकर्ता ने किसी तीर की तरह सनसनाता और चुभता यह सवाल पूछा. उसका तर्क बड़ा सीधा सा था : किसान इन तीन कृषि कानूनों के आने के पहले से ही...
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