अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक नई रिपोर्ट में भुखमरी के खात्मे के लिए पर्याप्त प्रयास ना करने के लिए भारत सरकार की आलोचना की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भुखमरी का कारण खाद्यान्न के उत्पादन में कमी नहीं बल्कि गरीबों की क्रय क्षमता में कमी का आना है। एक्शन एड द्वारा जारी हू इज रियली फाइटिंग हंगर नाम की इस रिपोर्ट(देखें नीचे दी गई लिंक) में...
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कोसी के बाढ़-पीड़ितों के लिए दिल्ली में साईकिल रैली
बिहार बाढ़ विभीषिका समिति और दिल्ली यंग आर्टिस्ट फोरम कोसी नदी की बाढ़ से होने वाली सालाना तबाही पर जनजागरण के लिए १७ से २४ नवंबर के बीत भगत सिंह पार्क से संसद भवन तक एक साईकिल रैली का आयोजन कर रहा है। साईकिल रैली से दिल्ली के तमाम इलाकों के भ्रमण की योजना बनायी गई है। साल २००८ में कोसी नदी में आई बाढ़ में सैकड़ों लोगों की जान...
More »उत्तराखंड की बांध परियोजनाएं-किसको क्या मिला?
नये राज्यों के गठन के पीछे एक तर्क उनके आर्थिक विकास का दिया जाता है। छत्तीसगढ़ और झारखंड के साथ-साथ उत्तराखंड का गठन नये राज्य के रुप में हुआ तो जातीय पहचान के साथ-साथ इन राज्यों के आर्थिक विकास का भी तर्क दिया गया था। उत्तराखंड को अस्तित्व में आये अब तकरीबन नौ साल पूरे हो रहे हैं। चिपको आंदोलन समेत कई जनआंदोलनों की जन्मभूमि रहे उत्तराखंड में फिलहाल बांध...
More »एक चिठ्ठी बस्तर की व्यथा की......
छत्तीसगढ़ के तृणमूल स्तर के कई कार्यकर्ताओ ने देश के जनपक्षी धड़ों के लिए एक टिप्पणी जारी की है। इस टिप्पणी में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों और आदिवासियों के बीच जारी संघर्ष को विराम देने की अपील की गई है।छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से संबद्ध सुधा भारद्वाज का तर्क है कि विद्रोह को दबाने के नाम पर छत्तीसगढ़ में नरसंहार की आशंका बलवती हो गई है और इसे रोकने के लिए...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
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