हाल ही में संसद द्वारा दिव्यांगों (विकलांगों) के अधिकारों से जुडे़ जिस विधेयक को पारित किया गया है, उसमें दिव्यांग बच्चों के लिए कुछ खास प्रावधान हैं। अब दिव्यांग बच्चों को छह से 18 साल तक नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाएगी, जबकि मौजूदा प्रावधान में यह आयु सीमा छह से 14 वर्ष है, जो शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी वर्ग के बच्चों पर लागू होती है। दिव्यांग बच्चों...
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बहुत दुश्वारियां हैं बच्चों के स्कूल की राह में-- पंकज चतुर्वेदी
बीते कुछ साल के दौरान आम आदमी शिक्षा के प्रति जागरूक हुआ है, स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण बढ़ा है। साथ ही स्कूल में ब्लैक बोर्ड, शौचालय, बिजली, पुस्तकालय जैसे मसलों से लोगों के सरोकार बढ़े हैं। लेकिन जो सबसे गंभीर मसला है कि बच्चे स्कूल तक सुरक्षित कैसे पहुंचें, इस पर न तो सरकारी और न ही सामाजिक स्तर पर कोई विचार हो रहा है। आए दिन देश भर...
More »स्थानीयता है कुंजी-- नीलम गुप्ता
जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
More »झारखंड की संभावनाओं भरी राह-- अलख नारायण शर्मा
एक राज्य के तौर पर झारखंड ने सोलह साल का सफर तय कर लिया है. इस दौरान एक अलग राज्य के तौर पर झारखंड ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है. लेकिन, नये राज्य के बनने के बाद से झारखंड से जैसी उम्मीद की जा रही थी, वैसा कुछ हो नहीं हो पाया. फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि इस दौरान राज्य कई मामले में आगे बढ़ा है....
More »वित्तीय सेवाओं का उपयोग-- बिभाष
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने गत तीन अक्तूबर को सातवां वार्षिक फाइनेंशियल एक्सेस सर्वे-2016 (एफएएस-2016) जारी किया. यह सर्वे विभिन्न देशों में वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता तथा उनके उपयोग संबंधी आंकड़े जारी करता है. यह सर्वेक्षण समय-समय पर जी-20 देशों द्वारा तय किये गये वित्तीय समावेशन सूचकों (फाइनेंशियल इन्क्लूजन इंडिकेटर्स) के आधार पर किया जाता है. पिछली बार लॉस काबोस में 2012 के शिखर सम्मेलन में इन सूचकों को तय किया...
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