-सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा देश की राजधानी में आयोजित सम्मेलन अपने आप में एक ऐतिहासिक घड़ी थी. -सदियों से मैला उठाने वाला समाज अब टोकरी नहीं आवाज उठाना चाहता है, हाथ में झाड़ू नहीं किताब लेना चाहता है. -सरकार के झूठे वादों पर उम्मीद बांधने की बजाय अब इस समाज ने खुद मैलाप्रथा को खत्म करने की ठान ली है. आज भी कई लाख लोग अपने सर पर मैला उठाने को अभिशप्त हैं....
More »SEARCH RESULT
इन करोड़ों बच्चों का पता कहां मिलेगा ---शिरीष खरे
2001 की जनगणना के ही अलग-अलग आकड़ों के जोड़-घटाव से एक अहम सवाल उभरता है. पहले आंकड़े के मुताबिक देश के 8 करोड़ 50 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते. दूसरे आंकड़े में 5 से14 साल उम्र के एक करोड़ 30 लाख बच्चे मजदूर हैं. अगर 8 करोड़ 50 लाख में से 1 करोड़ 30 लाख को घटा दें, तो सात करोड़ 20 लाख बचते हैं. यह उन बच्चों की संख्या है...
More »सहरिया क्षेत्र में आज भी बंधुआ हैं लोग
जयपुर. बारां जिले के सहरिया क्षेत्र में कर्ज के बदले में बंधुआ मजदूर की तरह काम लिया जाता है और कर्ज नहीं चुका पर जमींदार आगे किसी और जमींदार को ज्यादा पैसे लेकर दे देते हैं। यह खुलासा बुधवार को यहां स्टेच्यू सर्किल के पास उद्योग मैदान में चल रहे मजदूर हक सत्याग्रह धरने के दौरान हुआ। सहरियाओं ने श्रम विभाग के प्रमुख सचिव मनोहरकांत को ज्ञापन भी दिया। ओमप्रकाश को 11 हजार...
More »रोटी की बहस और बहस की जमीन- चंदन श्रीवास्तव
सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...
More »अस्पताल का हालः भूख से मरी महिला से कुत्तों ने मिटा ली भूख
पखांजूर. देश में लोगों को दो वक्त की रोटी निश्चित कराने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून की कितनी जरूरत है इसका अंदाजा छत्तीसगढ़ की एक खबर से लग सकता है। एक सरकारी अस्पताल परिसर में महिला की भूख से तड़प कर मौत हो गई। भूख से मरी महिला के शव से आवार कुत्तों ने अपनी भूख मिटा ली। शनिवार रात छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के सिविल अस्पताल पखांजूर के बरामदे...
More »