बाल श्रम हमारे समय की एक दुखद सच्चई है. तरक्की के तमाम दावों के बावजूद आज हम उद्योग-धंधों से लेकर घर के भीतर तक पूरी दुनिया में किसी न किसी रूप में बाल श्रमिकों को देख सकते हैं. इसकी रोकथाम के लिए बेशक कई कानूनी प्रावधान किये गये हों, लेकिन पिछड़े क्या विकसित कहे जाने वाले समाजों तक में लाखों बच्चों का बचपन पेट की भूख मिटाने में दफन हो जाता है. वर्ल्ड...
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कैसे बनेंगे छह लाख इंदिरा आवास!
पटना: सूबे में शनिवार को हर प्रखंड में शिविर लगा कर इंदिरा आवास के लिए राशि वितरण की घोषणा की गयी थी, पर अधिकारियों व तंत्र (सिस्टम) की सुस्ती से अधिकतर जगहों पर इंदिरा आवास के लाभार्थियों को आवास निर्माण के लिए पैसा नहीं मिल पायेगा. यह तब होगा, जब राशि के अभाव में दो बार तिथि बदली गयी. सारण जिले में राशि पहुंची है, लेकिन रिलीज ऑर्डर नहीं गया है....
More »रैनबैक्सी की दवाओं के खिलाफ सतर्क रहने की सलाह जारी की अपोलो फार्मेसी ने
नयी दिल्ली (भाषा)। प्रमुख दवा कंपनी अपोलो फार्मेसी ने कहा है कि उसने रैनबैक्सी लेबोरेटरीज की दवाओं से सतर्क रहने की सलाह जारी की है लेकिन वह इस कंपनी के उत्पाद अब भी बेच रही है। अपोलो फार्मेसी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, चिकित्सा समिति द्वारा जताई गई चिंताओं के आधार पर :रैनबैक्सी की दवाओं को लेकर: सतर्क रहने की सलाह जारी की गई है। कंपनी ने हालांकि...
More »माओवाद को लेकर मतिभ्रम- विनोद कुमार
जनसत्ता 31 मई, 2013: झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के वनक्षेत्र वाले इलाकों में माओवादी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। हाल में झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर हमला कर माओवादियों ने तीन दर्जन लोगों को मार डाला। इस हमले में मारे जाने वाले कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हैं। आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां अगर ‘विकास...
More »भूख की भाषा और शास्त्र - सुधीश पचौरी
जनसत्ता 30 मई, 2013: हमारे समकालीन सोच-विचार की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ‘गरीब' के बारे में सिर्फ ‘अमीर' (इस प्रसंग में ‘एलीट') विचार करते हैं। गरीब अपनी गरीबी के बारे में विचार करता नहीं पाया जाता। अपने बारे में इस कदर ‘विचार विहीन' होने के बारे में भी गरीब कभी नहीं बोलता। यह बात भी अमीर ही बताते हैं कि गरीब अपनी गरीबी के बारे में इस कारण विचार...
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