न संसद में चर्चा हुई,न रोजगार गारंटी परिषद में बात और न ही सरकार ने किसी मंच पर इसका जिक्र किया, एकदम गुपचुप दलितों के हाथ से नरेगा के लाभ छीन लिए गए। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में २२ जुलाई को दलित विरोधी संशोधन किया । संशोधन के विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रिया हुई है तो अब केंद्र सरकार की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी किया...
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नरेगा- पहले संशोधन फिर स्पष्टीकरण...
न संसद में चर्चा हुई,न रोजगार गारंटी परिषद में बात और न ही सरकार ने किसी मंच पर इसका जिक्र किया, एकदम गुपचुप दलितों के हाथ से नरेगा के लाभ छीन लिए गए। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में २२ जुलाई को दलित विरोधी संशोधन किया । संशोधन के विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रिया हुई है तो अब केंद्र सरकार की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी किया...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
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