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पूरी हुईं मांगें, पाटकर की भूख हड़ताल समाप्त

मुम्बई। राज्य सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपनी नौ दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। पाटकर मुम्बई के उपनगरीय इलाके खार की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को वहां से हटाए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही थीं। 'नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट' (एनएपीएम) के सदस्य मधुरेश कुमार ने शनिवार को बताया, "जिलाधिकारी निर्मल देशमुख एक अधिसूचना लेकर आए थे, जिसमें राज्य सरकार द्वारा...

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वापस होगी 400 एकड़ जमीन

तीन महीने के भीतर जंगल महल व दार्जिलिंग की समस्याओं के समाधान की घोषणा अल्पसंख्यकों के विकास के लिए तैयार होगा पैकेज शुक्रवार को शपथ ग्रहण करने के बाद राज्य की नयी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ राजभवन से राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग पहुंचीं और पदभार ग्रहण किया. मंत्रिमंडल की अहम बैठक की. इसके बाद एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने अपनी सरकार की प्राथमिकताएं गिनायीं और कई फ़ैसलों की...

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भू-अधिग्रहण बिल पर एनएसी में मतभेद - सुरेंद्र प्रसाद सिंह

नई दिल्ली ग्रामीण विकास मंत्रालय में भूमि अधिग्रहण विधेयक को अंतिम रूप देने का सिलसिला तेज हो गया है। ग्रामीण विकास मंत्री विलास राव देशमुख ने किसान, उद्योग संगठनों और गैर सरकारी संगठनों संग विचार-विमर्श चालू कर दिया है, लेकिन सोनिया की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सिफारिशों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल एनएसी की उपसमिति के सदस्य भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन...

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कोयला मंत्रालय ला रहा नई पुनर्वास नीति

कानपुर। ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल में भूमि अधिग्रहण के मसले पर किसानों के आंदोलन को देखकर अब कोयला मंत्रालय एलर्ट हो गया है। उसे भी कोयला खदानों एवं अन्य कामों के लिए किसानों एवं अन्य को विस्थापित करना पड़ता है। कोयला मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह विभाग की पुनर्वास और पुनस्र्थापन [रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट पालिसी] की नई नीति तीन माह के अंदर तैयार करें ताकि...

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असंगति का संगीत- रोहिणी मोहन

कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...

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