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बत्तीस के फेर में गरीबी : इला भट्ट

अब देश की सरकार गरीबी के मानदंडों में संशोधन करने जा रही है, जैसे कि देश को पता ही न हो कि गरीबी के मायने आखिर क्या हैं! सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्र में एक दिन में 32 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में एक दिन में 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति ‘गरीब’ नहीं माना जा सकता और इसलिए वह सरकार की विभिन्न हितकारी योजनाओं के लिए पात्र...

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तमिलनाडु की कपड़ा फैक्ट्रियों में दलित लड़की का एक दिन...- (नई रिपोर्ट)

सभी लड़कियों की उम्र 11-14 साल के बीच, ज्यादतर का जन्म दलित परिवार में , जीविका के लिए जमीन नहीं, सो मां-बाप दिहाड़ी मजदूर, सर पर कर्ज का बोझ, इसलिए पढ़ाई से ज्यादा शादी और उससे भी ज्यादा दहेज की चिन्ता। और, इस सबके बीच कपड़ा तैयार करने वाली फैक्ट्रियों में खास लड़कियों की नियुक्ति की एक आकर्षक-योजना सुमंगली स्कीम। स्कीम का वादा--  अच्छा वेतन, रहने-ठहरने का पुरसुकून इंतजाम और...

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निर्धारित हुई न्यूनतम मजदूरी

रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग ने झारखंड प्रदेश के विभिन्न उद्योगों में कार्यरत ठेका श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण करते हुए अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार अकुशल कामगार को दैनिक मजदूरी 154.8 रुपए, अ‌र्द्धकुशल कामगार को 161.70 रुपए, कुशल कामगार को 195.90 रुपए व अतिकुशल कामगार को 237.94 रुपए प्रदान किया जाएगा। यह अधिसूचना निर्गत होने की तिथि 16 जून से प्रभावी होगी। ...

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गृहश्रमिकों को मान्यता

संतोष की बात है कि आखिरकार दुनिया ने घरों में काम करने वाले कामगारों की फिक्र की है। यह भी प्रशंसनीय है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के 100वें अधिवेशन में ऐसे कामगारों के हक में हुई संधि का समर्थन किया। अब यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि भारत सरकार जल्द इस संधि का अनुमोदन करे और इसे लागू करने के लिए जरूरी कानूनी प्रावधान करे। यह दुखद है कि संपन्न...

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असंतोष से सुधारों की ओर : डॉ महेश रंगाराजन

सिविल सोसायटी और यूपीए सरकार के बीच लोकपाल बिल पर चला आ रहा गतिरोध एक तरह से समाप्त हो गया है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी असहमतियों पर सहमत हैं। दोनों ही जल्द से जल्द लोकपाल चाहते हैं, लेकिन नई व्यवस्था बनाने की प्रक्रियाओं के बारे में वे एकमत नहीं हो सकते। हकीकत यह है कि दोनों ही पक्ष मानते हैं कि वे लड़ाई जीत चुके हैं। बाबा रामदेव ने अपने आंदोलन के...

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