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कोरोना संकट के बीच जिंदा रहने का संघर्ष करते रोहिंग्या शरणार्थी

-द क्विंट, कोरोना वायरस की मार न केवल स्वास्थ्य, बल्कि आर्थिक नजरिए से भी लोगों पर पड़ी है. ऐसी स्थिति में रोहिंग्या रिफ्यूजियों की हालत भी खराब है. परेशान होकर अपनी जगह से भागकर दूसरे देश में शरण लेने पर मजबूर रोहिंग्याओं पर इस महामारी में दोहरी मार पड़ी है. भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इनमें भी महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा मार दिल्ली...

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कोरोना वायरस: शहरों के बाद गाँवों में बड़ी चुनौती बन जाएगी

-बीबीसी, भारत में अब तक साढ़े तीन लाख से भी ऊपर कोरोना पॉज़िटिव मामले सामने आ चुके हैं और ग्यारह हज़ार से भी ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं. भारत अब इस महामारी के बहुत ही संवेदनशील चरण में प्रवेश कर चुका है. लाखों की संख्या में महानगरों से देश के ग्रामीण अंचल की ओर लौटे प्रवासी मज़दूरों की मजबूरी ने कोरोना के प्रसार के ख़तरे को भी ग्रामीण भारत की ओर मोड़...

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अब जिंदगियां बचाना ही सबसे जरूरी

-इंडिया टूडे, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने एसोसिएट एडिटर सोनाली अचार्जी के साथ बातचीत में बताया कि कोरोना महामारी के बारे में पिछले कुछ महीनों में कैसे समझ विकसित हुई और जांच की मौजूदा स्थिति तथा आगे की संभावनाएं क्या हैं. कुछ अंश: ● कोविड-19 को पहले गंभीर किस्म के फ्लू जैसा बताया गया था, फिर इसे प्रतिरोधक क्षमता पर आधात करने वाला बताया गया. अब...

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एफसीआई ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद के आंकड़ों में की कटौती

-आउटलुक, जैसे-जैसे तारिख आगे बढ़ती है वैसे-वैसे गेहूं खरीद की मात्रा में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए, लेकिन भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के द्वारा राज्यवार दिए जा रहे आंकड़ों में इसके उल्ट हुआ है। निगम ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से खरीदे जा रहे गेहूं के 17 जून 2020 को जो आंकड़े जारी किए थे, 18 जून को उनमें कमी कर दी। कमी भी एक या दो टन की नहीं बल्कि...

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कोविड ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेला, उनको मदद दिए बिना भारत ‘आत्मनिर्भर’ नहीं बन सकता

-द प्रिंट, भारत में कोरोनावायरस संकट के कारण लागू किए गए लॉकडाउन ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेल दिया है. इनमें से ज्यादातर का जीवन कुछ वैसा ही हो गया है जैसा कभी उनकी दादी-नानी का था. वो दिन का ज्यादातर हिस्सा खाना-पकाने, साफ-सफाई करने और घर-परिवार को संभालने में बिता रही हैं. और जो घर से काम कर रही हैं, अगर उनके पास अब भी नौकरी बची है तो, वो...

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