लामता। जंगल में गहराते जलसंकट के बीच जंगली जानवर अब पानी के लिए गांवों की ओर जाने लगे हैं। जल स्रोत तेजी से सूखने लगे और जंगलों से हरियाली गायब हो रही है।लामता के रानी तालाब में इन दिनों पानी होने से वन्यप्राणी अपनी प्यास बुझाने पहुंच रहे है। जंगल से निकल वन्यप्राणी बाघ रानी तालाब में लगातार दो दिनों से ग्रामीणों को दिखाई दे रहा है। पानी की तलाश में...
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जहरीला होता जमीन का पानी-- पंकज चतुर्वेदी
जमीन में पानी का अकूत भंडार है। यह पानी का सर्वसुलभ और स्वच्छ स्रोत है। लेकिन यदि एक बार दूषित हो जाए तो इसका परिष्करण लगभग असंभव होता है। भारत में जनसंख्या बढ़ने के साथ घरेलू इस्तेमाल, खेती और औद्योगिक उपयोग के लिए भूगर्भ जल पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। जमीन से पानी निकालने की प्रक्रिया ने भूजल को खतरनाक स्तर तक जहरीला बना दिया है। इसके लिए समाज...
More »यूनेस्को ने जताई आशंका, खत्म हो जाएंगी सात भाषाएं
दुनिया में बोली जाने वाली असंख्य भाषाओं में से सात ऐसी भाषाएं हैं जो खत्म होने के कगार पर पहुंच गई हैं। इनमें एक ऐसी भाषा भी है, जिसमें बेचने और खरीदने के लिए कोई शब्द ही नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से किए गए अध्ययन में आशंका जताई गई है कि कई ऐसी भाषाएं हैं, जिनका अस्तित्व अप्रत्याशित रूप से संकट में है। एक अनुमान के मुताबिक ईसा...
More »किसानों की उम्मीद पर फिरा पानी, आंधी और ओलावृष्टि से फसल तबाह
होली की खुशियां खत्म भी नहीं हुईं थीं कि रविवार को आंधी, ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों को गम के आंसुओं में डुबो दिया। मथुरा जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों में रुक-रुक कर हुई ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। नौहझील क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान का अनुमान है। किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं, किसानों को इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी। हलधर दाऊजी महाराज...
More »शहरीकरण के बढ़ते खतरे--- देवेंद्र जोशी
अनियोजित शहरीकरण आज किसी एक प्रदेश की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। आजादी के सत्तर सालों में जहां कस्बे शहर, शहर नगर और नगर महानगर बनते चले गए, वहीं गांवों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया। गांव आज भी गांव ही है। वही आबोहवा, आंचलिक संस्कृति, एक-दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा बंटाने का आत्मीय भाव, अभाव में भी संतुष्टि और इस सबसे बढ़ कर छोटी-सी घटना...
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