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मॉनसून के ठिठकने का नुकसान-- हिमांशु ठक्कर

केरल से चले मॉनसून पर मध्य भारत पहुंचते ही ब्रेक लग गया है और बीते 13 जून से वह आगे ही नहीं बढ़ पाया है. माना जा रहा है कि पिछले आठ साल में यह पहली बार है, जब मॉनसून कहीं ठिठक गया हो. लेकिन, पिछले साल भी थोड़े समय के लिए ऐसा हुआ था. अब तक तो पूरे मध्य भारत में मॉनसून पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन अब इसके...

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गंभीर खतरा, सुस्त रवैया-- विनीत कुमार

हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जब धरती के वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैस का स्तर पिछले 8 लाख वर्षों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है और फरवरी, 2018 में तो यह 408 पीपीएम के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की एमिशन गैप रिपोर्ट 2017 कहती है कि पेरिस समझौते के अंतर्गत देशों की वर्तमान प्रतिबद्धताएं तापमान को 21वीं सदी के अंत...

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तेल पर मिलकर चलने को तैयार - सुषमा रामचंद्रन

हाल ही में ऐसे संकेत मिले हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए भारत और चीन मिलकर प्रयास कर सकते हैं। यदि ऐसा है तो यह निश्चित ही स्वागतयोग्य घटनाक्रम है। इसका मतलब है कि आर्थिक हितों को तवज्जो देते हुए विदेश नीति में अब कहीं ज्यादा व्यावहारिक रवैया अपनाया जा रहा है। दुनिया में अमेरिका के बाद भारत और चीन कच्चे तेल...

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निजीकरण नहीं वनों का हो कायाकल्प-- रामचंद्र गुहा

पैंतालीस साल पहले अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों ने जब जंगल से पेड़ काटकर ले जाने वालों को रोका, तो किसी ने सोचा न होगा कि यहीं से चिपको आंदोलन की नींव पड़ने जा रही है। एक ऐसा किसान आंदोलन, जिसने भारत में वनों के व्यावसायिक दोहन पर सबका ध्यान खींचा। चिपको आंदोलन का ही यह असर था कि वनाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी। गढ़चिरौली, बस्तर, सिंहभूम और पश्चिमी घाट सहित...

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जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी

र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...

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