SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 312

गर्भाशय जांच : मीडिया की उपस्थिति पर आपत्ति

मुजफ्फरपुर, कासं : गर्भाशय ऑपरेशन की जांच ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रही है, अस्पताल प्रबंधनों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। कुछ जगहों पर मिली गड़बड़ी सार्वजनिक होने से इनकी बौखलाहट भी दिखने लगी है। रिपोर्ट सार्वजनिक न हो इसलिए मीडियाकर्मियों को जांच से दूर रखने के लिए अस्पताल प्रबंधनों का शिष्टमंडल जिलाधिकारी संतोष कुमार मल्ल से मिला। इसके बाद निर्णय हुआ कि जांच के दौरान मीडियाकर्मी वहां नहीं रहेंगे। इस कारण...

More »

लाठी का लोकतंत्र - अनिल चमडिया

जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: छत्तीसगढ़ के बीजापुर के तीन गांवों के सत्रह आदिवासियों के केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस की गोलियों से मारे जाने की घटना पर दिल्ली में आयोजित एक सभा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जो कुछ कहा वह ऐसी तमाम घटनाओं पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि 28 जून 2012 की रात राजपेटा, सारकीगुड़ा और कोत्तागुड़ा में नक्सलियों के साथ...

More »

बिहार में सच बड़ा या झूठ?- मणिकांत ठाकुर(बीबीसी संवाददाता)

बिहार में सूचना का अधिकार, यानी आरटीआई, क़ानून कथित सरकारी मकड़जाल में फंस कर विवादों से घिर गया है. इस बाबत राज्य सरकार द्वारा प्रचारित 'उपलब्धियों' और जमीनी सच्चाइयों के बीच बड़ा फ़र्क देख रहे आरटीआइ कार्यकर्त्ता आंदोलित हो उठे हैं. बिहार की नीतीश सरकार अपने शासन के सातवें साल से गुजर रही है. कहा जा रहा है कि इस दौरान यहाँ शासन द्वारा बरती गई चालाकियां किस तरह कामयाबियां नजर आईं, इसका...

More »

मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन

इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...

More »

मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन से प्रभात खबर के पुष्यमित्र की बातचीत

इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close