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मिड दे मील में विषाक्त भोजन खाकर 19 बच्चे बीमार

बिहार के बांका में मंगलवार को विषाक्त भोजन खाने से एक स्कूल के 19 बच्चे बीमार पड़ गये. बांका जिले में अमरपुर थाना अंतर्गत विशंभर चक गांव में विषाक्त भोजन खाने के कारण सरकारी प्राथमिक विद्यालय के 19 बच्चे बीमार पड़ गये. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विशंभर चक गांव में सरकारी प्राथमिक विद्यालय में दोपहर का भोजन (एमडीएम) खाने के बाद उल्टी और दस्त की शिकायत होने पर बच्चों...

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जमीन खाली कराने पहुंचे बिहार के छोटे सरकार के गुर्गे!

पटना। जदयू के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की नजर सब्जीबाग स्थित बिड़ला मंदिर के बगल स्थित साढ़े 27 कट्ठे के सिल्वन हाउस पर है। यह आरोप सिल्वन हाउस में रह रहे लगभग 25 परिवार लगा रहे हैं। मंगलवार को लगभग छह बड़ी गाड़ियों और आठ-दस मोटरसाइकिल पर 50 से अधिक लोग जमीन खाली कराने पहुंचे।     प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उनलोगों ने सिल्वन हाउस के लोगों के साथ मारपीट भी की। ग्रिल में ताले...

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बिहार में सच बड़ा या झूठ?- मणिकांत ठाकुर बीबीसी संवाददाता

बिहार में सूचना का अधिकार, यानी, आरटीआई, क़ानून कथित सरकारी मकड़जाल में फंस कर विवादों में घिर गया है. इस बाबत राज्य सरकार द्वारा प्रचारित 'उपलब्धियों' और जमीनी सच्चाइयों के बीच बड़ा फ़र्क देख रहे आरटीआइ कार्यकर्त्ता आंदोलित हो उठे हैं. बिहार की नीतीश सरकार अपने शासन के सातवें साल से गुजर रही है. कहा जा रहा है कि इस दौरान यहाँ शासन द्वारा बरती गई चालाकियां किस तरह कामयाबियां...

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कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)

बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...

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सदिच्छा का सत्यानाश- इर्शादुल हक

सैकड़ों करोड़ रु की जिस रकम से बिहार के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती थी उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया. इर्शादुल हक की पड़ताल सत्ता के शीर्ष से चले अच्छे इरादों का जमीन तक पहुंचते-पहुंचते किस तरह बंटाधार हो जाता है, इसका उदाहरण है यह घोटाला. इससे यह भी साफ होता है कि योजनाएं कितनी भी अच्छी बन जाएं, जब तक उन्हें अमली जामा पहनाने वाले तंत्र...

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