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आत्महत्या और हत्या के बीच-- रविभूषण

सौ साल पहले (1917) साप्ताहिक पत्र 'प्रताप' के वार्षिक विशेषांक में गणेश शंकर विद्यार्थी ने 'भारतीय किसान' शीर्षक लेख में लार्ड कर्जन को उद्धृत किया था- 'भारतीय किसान राजनीति नहीं जानते, पर उसके बुरे-भले फलों को भोगते हैं...' कर्जन ने किसानों को 'देश की हड्डियां और नसें' कहा था. कृषि उन्नति मेला 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के भाग्य को गांवों और किसानों से, कृषि-क्रांति से जोड़ा था. यह...

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प्रेस की एकजुटता-- राजेश जोशी

पिछले शुक्रवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में पूर्व मंत्री, लेखक और संपादक अरुण शौरी ने ऐसा क्या कह दिया कि हंगामा खड़ा हो गया? एनडीटीवी पर सीबीआइ के छापों का विरोध करने के लिए हुई पत्रकारों की बैठक में कुलदीप नैयर, प्रणय रॉय, शेखर गुप्ता, राज चेंगप्पा भी बोले थे, लेकिन अरुण शौरी एकमात्र वक्ता थे, जिन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया. उन्होंने अपने भाषण में...

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ओझल बनायी जा रही औरतें-- मृणाल पांडे

जैसे-जैसे राजनीति और मीडिया का असर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे यह शक सर उठा रहा है कि राजनेताओं और मीडिया में अहंकार और खुद को भगवान समझने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. हाल में एक अंगरेजी चैनल में एक कार्यक्रम के दौरान सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता ने तमक कर एंकर को कहा कि वे जानते हैं कि इस चैनल का अपना (राजनीतिक, वैचारिक) एजेंडा है. एंकर ने इस पर उनसे...

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आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे और साथी कोर्ट में दोषी करार, अरुणा राय ने कहा फैसला निराशाजनक

सूचना के अधिकार कानून के प्रसिद्ध कार्यकर्ता और समाजसेवी निखिल डे और उनके चार अन्य साथियों को किशनगढ़(अजमेर, राजस्थान) की एक अदालत ने दोषी ठहराते हुए चार माह के जेल की सजा सुनायी है.   16 मई 1998 के इस मामले में अदालत का फैसला 19 साल बाद 13 जून 2017 को आया है. मामला बिना मंजूरी रिहायशी परिसर में आने और हाथापाई करने से संबंधित है.   अदालत ने फैसले के तत्काल अमल को रोकते हुए...

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क्यों धैर्य खो रहे हैं किसान-- संजीव पांडेय

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में किसान उग्र हो गए हैं। दोनों राज्यों में किसान आंदोलन हिंसक हो गया। मध्यप्रदेश में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई। यह घटना पूरे देश के लिए चेतावनी है क्योंकि किसानों ने अब शांतिपूर्वक आंदोलन के बजाय हिंसक रास्ता अख्तियार कर लिया है। कर्ज के बोझ तले दबे किसान फसलों की संतोषजनक कीमत न मिलने के कारण सड़कों पर उतर आए। सरकार की...

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