असम में दो साल पहले बोडो बहुल इलाकों में हुई हिंसा में सौ से ज्यादा लोगों की जान गई थी। इस साल फिर वहां हिंसा भड़क उठी है। पिछली बार की हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। उसने जांच रिपोर्ट सौंपी और दोषियों के खिलाफ मामले दायर किए। मामले अब भी चल रहे हैं, पर उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार को जो कदम उठाने चाहिए थे, वे...
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गुजरात के विकास का सच- नीलांजन मुखोपाध्याय
चुनावी सरगर्मियों के बीच गुजरात में यह देखना दिलचस्प होगा कि वहां सामाजिक समावेश की दिशा में सरकार ने अब तक कौन-से कदम उठाए हैं। हाल के तमाम साक्षात्कारों में नरेंद्र मोदी यह दावा करते आए हैं कि वह अपने नागरिकों के साथ समान व्यवहार करेंगे। मगर गोधरा शहर से थोड़ी दूर रहने वाली तीन मुस्लिम लड़कियों की कहानी गुजरात सरकार के दावे से ठीक उलट है, जो इस चुनाव...
More »बुरी राजनीति की महामारी के चपेट में क्यों है उत्तर प्रदेश?
अपनी चुनावी यात्र के दौरान सुप्रिया शर्मा ने महसूस किया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाता आज भी जाति, समुदाय और धर्म से अलग कुछ भी सोचने को तैयार नहीं हैं, वे भी नहीं जिनके बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं. जाति के प्रति उनका आग्रह बहुत कुछ कहता है. पिछले हफ्ते जब मैंने महामारी वार्ड संख्या 12 का दौरा किया था तो वहां का माहौल दूसरे दिनों के मुकाबले बेहतर था. वहां...
More »अंबेडकर और संघ परिवार- एम के वेणु
लोकसभा चुनाव के बीच संघ परिवार ने चतुराई से यह बहस छेड़ने की कोशिश की है कि दलितों के आदर्श और भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर मुसलमानों पर भरोसा नहीं करते थे। अचानक ऐसे बयान आने लगे और टीवी चैनलों पर बहस होने लगी कि वह मुसलमानों के प्रति नकारात्मक सोच रखते थे। एक बेनाम ट्वीटर एकाउंट के जरिये, जो संभवतः भाजपा की ओर से तैयार किया गया है, इस लेखक...
More »चुनाव के समय ही उनकी याद आती है- अनुराग दीक्षित
लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को अचानक देश के मुसलमानों की याद आ गई है। हर दल खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटा है। कांग्रेस नए-पुराने 15 सूत्रीय कार्यक्रमों समेत अपनी तमाम योजनाएं गिना रही है। वैसे यूपीए शासनकाल में अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति जैसे अहम काम हुए भी हैं। हां, यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री भी अल्पसंख्यक कल्याण...
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