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किसान बहुत सारे मुद्दों पर सफल रहे, पर मीडिया पूरी तरह नाकाम रही

-गांव सवेरा,  प्रधानमंत्री के कुछ किसानों को न मना पाने के कारण तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया गया, बल्कि इसके पीछे का सही कारण है किसानों का दृढ़ता से डटे रहना। जबकि डरपोक मीडिया उनकी शक्ति और संघर्ष की सही कद्र भी नहीं कर रहा है।मीडिया खुल कर यह नहीं मान रहा की, कई सालों में, हुए दुनिया के इस सबसे लंबे संघर्ष ने जीत हासिल की है, जो महामारी...

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कम होने के बावजूद भी क्यों खाली पड़े रहते हैं बिहार के अस्पतालों में बिस्तर

-इंडियास्पेंड, बिहार में जिला अस्पताल न केवल डॉक्टर और दवा की कमी से जूझ रहे हैं बल्कि बुनियादी इलाज नहीं मिलने और जांच आदि का खर्च स्वयं उठाने की बाध्यता के कारण इनमें मरीज भी नदारद हैं। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संगठनों और सरकारों की रिपोर्टों के अनुसार, बिहार में आबादी के अनुपात में अस्पतालों की कमी तो है ही, लेकिन अस्पतालों में मरीजों के नहीं जाने से अधिकतर बिस्तर खाली...

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कृषि बिल: जितनी आसानी से पीएम ने कह दिया, उतनी आसान नहीं है यह जीत

-न्यूजलॉन्ड्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करते हुए किसानों से माफी मांगी. किसान एक साल से दिल्ली के अलग-अलग बार्डर पर विवादित कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. पीेएम मोदी के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि उनकी यह तपस्या सही साबित हुई. हालांकि किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा,...

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इंटरव्यू/ राकेश टिकैत: 'किसानों की बाकी मांगों पर अपना रवैया स्पष्ट करे सरकार'

“संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि उनकी बाकी मांगों पर सरकार अपना रवैया स्पष्ट करे” तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि उनकी बाकी मांगों पर सरकार अपना रवैया स्पष्ट करे। टिकैत के अनुसार मोर्चा आगे आम जन के मुद्दे भी उठाएगा। उनसे बात की आउटलुक के एस.के. सिंह ने। मुख्य अंशः सरकार...

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भारत में कुपोषण का संकट और गहराया, देशभर में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित

-न्यूजलॉन्ड्री,  कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक है फिर भी इस समस्या पर सबसे कम ध्यान दिया गया है. आज भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (4.66 करोड़) और कमजोर (2.55 करोड़) बच्चे मौजूद हैं. इसकी वजह से देश पर बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है, हालांकि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़े बताते है कि देश में कुपोषण की दर घटी है लेकिन न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों...

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