पटना: बिहार ने योजना आयोग को जल्दबाजी में भंग करने का विरोध करते हुए इस मामले पर व्यापक चर्चा और निर्णय के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नयी दिल्ली में आयोजित बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि इस मसले पर विचार-विमर्श और परिचर्चा के बिना जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लें. 12वीं पंचवर्षीय के मध्य...
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योजना आयोग में बदलाव की योजना पर कांग्रेस ने मोदी पर निशाना साधा
प्रभात खबर,नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि योजना आयोग के ‘राजनीतिक दफन' की सरकार की योजना को ‘कुटिल' तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. कांग्रेस ने कहा कि योजना आयोग को समाप्त करने का कदम अवांछित, अदूरदर्शिता वाला और खतरनाक है. पार्टी ने सरकार को आयोग की कार्यप्रणाली को कमजोर नहीं करने की चेतावनी भी दी. सहयोगपूर्ण संघीय व्यवस्था को मजबूत...
More »सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए नयी पहलों की तैयारी : जेटली
प्रभात खबर,नयी दिल्ली : आर्थिक सुधारों को आगे बढाने की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रतिबद्धता के प्रति भारतीय उद्योग जगत को आश्वस्त करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए और कदम उठायेगी. जेटली ने कहा 'मेरी व्यय प्रबंधन आयोग के साथ कई बैठकें हुईं हैं. वे सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में कुछ अहम सुझावों पर काम कर...
More »झारखंड में विकास की राशि भी खर्च नहीं होती- मनोज प्रसाद
प्रभात खबर,राज्य गठन के बाद से ही यहां विकास कार्य के लिए मिली राशि की चौथाई भी सरकारी महकमे खर्च नहीं कर पा रहे. सरकारी अफसरों की अकर्मण्यता से हर साल करोड़ों रुपये लैप्स कर जाते हैं. राज्य की जनता को उनके हक से वंचित कर दिया जाता है, जबकि इसी काम के लिए लाखों रुपये का वेतन सरकारी अधिकारी उठाते हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहा है....
More »रोजगारविहीन विकास की कहानी - देविन्दर शर्मा
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के लिए प्राइसवाटर हाउस नामक परामर्शी कंपनी द्वारा तैयार एक ताजा रिपोर्ट में रोजगार निर्माण के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत की वार्षिक विकास दर नौ फीसदी रहती है, तो देश से बेरोजगारी खत्म करने में 20 वर्ष लगेंगे। यह वास्तव में वही है, जो हमें हाई स्कूल की अर्थशास्त्र की किताबों में पढ़ाया...
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