भारत कृषि प्रधान देश है। आज भी देश के किसानों का एक बड़ा वर्ग अपनी फसलों के लिए बादलों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखता है। मानसून का अच्छा या बुरा होना, हमारी फसलों की पैदावार के अच्छे या बुरे होने को तय करता है। लेकिन बदली जीवन शैली में जिन लोगों का कृषि संबंधी गतिविधियों से सीधा सरोकार नहीं है, मानसून उनसे भी अपने यथोचित स्वागत की अपेक्षा...
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दलहन उत्पादन दो करोड़ टन होने का अनुमान
नई दिल्ली। दालों के बढ़ते मूल्य से हलकान केंद्र सरकार को चालू खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीदें हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के मुताबिक चालू फसल वर्ष में दलहन की पैदावार अब तक के शीर्ष स्तर दो करोड़ टन तक पहुंच सकती है। दालों के मूल्य और मानसून की अच्छी बारिश और अनुकूल वातावरण को देखते हुए सरकार का अनुमान है कि इस बार दलहन उत्पादन में 18 फीसद...
More »अमेरिका ने जताया भारत की विकास दर पर संदेह
वाशिंगटन। भारत की साढ़े सात फीसद आर्थिक विकास दर बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई हो सकती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर यह संदेह जताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार आर्थिक सुधारों के अपने वादों को पूरा करने की दिशा में धीमी रही है। अलबत्ता, इसमें नौकरशाही और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के क्षेत्र में बाधाओं...
More »संवैधानिक जिम्मेदारी की बजाय राजनीति क्यों?--- विराग गुप्ता
देश में समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड- यूसीसी) लागू करने की संभावना का पता लगाने के लिए मोदी सरकार द्वारा विधि आयोग को पत्र लिखने से राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है। क्या सरकार के इस कदम से संविधान की अवहेलना हुई है...? प्रगतिशील समुदाय एवं मुस्लिम महिलाओं में बदलाव के लिए बेचैनी अंग्रेजों ने भारत में सभी धर्मों के लिए एक समान क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनाया जो अभी भी लागू...
More »राजनीतिक दबाव व पुलिस की बेबसी के चलते यूपी में है जंगल राज- नीलांशु शुक्ल
मैं बीते चार सालों से दिल्ली में नौकरी कर रहा हूं। मूल रूप से यूपी के औद्योगिक केंद्र कानपुर का रहने वाला हूं। अधिकतर लोग जिन्हें बताता हूं कि मैं यूपी का रहने वाला हूं वो एक ही बात कहते हैं कि वहां क़ानून-व्यवस्था बेहद ख़राब है। कभी-कभी तो यूपी के प्रति लोगों की इस मानसिकता पर बेहद गुस्सा आता है, लेकिन प्रदेश में दिनोंदिन बिगड़ रही क़ानून व्यवस्था को...
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