जनसत्ता 10 दिसंबर, 2013 : उत्तर प्रदेश से अब गन्ना उगाने वाले किसानों के मिल मालिकों से संघर्ष की खबरें आ रही हैं। यह संघर्ष जोरदार है। और एक तरह से इसे सफल जन संघर्ष कहा जा सकता है। इसने मुजफ्फरनगर की तीन महीने से चली आ रही हिंसा की खबरों को पीछे धकेल दिया है। कम से कम हिंदी अखबारों में। इस आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के लोग...
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भारी आयात होने से खाद्य तेल सस्ते
महंगाई के दौर में खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है। घरेलू बाजार में महीने भर में खाद्य तेलों की कीमतों में 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। ब्याह-शादियों का सीजन चल रहा है, जिससे खाद्य तेलों में मांग तो अच्छी है लेकिन कुल उपलब्धता मांग के मुकाबले ज्यादा होने के कारण कीमतों में और भी गिरावट आने की संभावना...
More »सूखते खेत-खलिहान अभी दूर है विज्ञान- अनिल जोशी
हमारे देश का एक बड़ा हिस्सा आजादी के बाद से आज तक विज्ञान के लाभ से महरूम रहा है। देश की प्रयोगशालाओं में जो भी हुआ, वह राजमार्ग से उतरकर गांव की पगडंडी पर गया ही नहीं। देश की तीन बड़ी वैज्ञानिक संस्थाओं का यह सीधा दायित्व था कि वे गांवों की विभिन्न आवश्यकताओं पर काम करें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विज्ञान और तकनीकी विभाग, ग्रामीण विकास संस्थान ने अपने...
More »देश के स्कूलों में ड्रापआउट बड़ी समस्या
भारत की स्कूली शिक्षा में बहुत बड़ी समस्या ड्रॉप-आउट की है. जितने बच्चे गांव शहर समाज में हैं, एक तो सभी स्कूल आते नहीं हैं, उतने स्कूली शिक्षा समाप्त नहीं कर पाते हैं. अनेक कारणों से काफी बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं. वे ड्रॉपआउट कर जाते हैं. इन ड्रॉप आउट करनेवाले बच्चों में लड़कियों की संख्या अनुपात से अधिक है व प्रगति की इच्छा रखनेवाले समाज के लिए चिंता का...
More »मताधिकार के मायने- संदीप जोशी
जनसत्ता 3 दिसंबर, 2013 : पिछले दिनों अचानक पूर्वी दिल्ली के रिहायशी इलाके निर्माण विहार के शांत और लगभग सूने बगीचे में चकाचौंध रोशनी देखी। चमाचम रोशनी ऐसी कि देखने वाले को सैर करने का न्योता हो। इसी बहाने अंधेरे में भी सैर हुई। संभ्रांतता दर्शाते हुए मॉल जैसी जगमगाहट पूरे बगीचे में फैली हुई थी। वहीं ध्यान आया कि दो हफ्ते में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने हैं। बगीचे की...
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