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अवैध उत्खनन से हो रहा जान का नुकसान

कोडरमा। जिले के जंगली क्षेत्रों में अवैध उत्खनन का कार्य धड़ल्ले से जारी है। गरीबी एवं तंगहाली से जूझ रहे ग्रामीण ढिबरा (माइका स्क्रैप) एवं पत्थर के अवैध उत्खनन में लगे हैं। सो, आये दिन घटनाएं घटती है और इसमें जानें भी जाती है। अक्सर यहां ढिबरा चुनते वक्त चाल धंसने से मौत की घटनाएं होती है। शुक्रवार को जोड़ासिमर में ढिबरा चुनते वक्त हुई दो महिलाओं की मौत तो उदाहरण मात्र है। इसके पूर्व...

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अपना दिवस मनाया

शिमला.सीटू राज्य कमेटी के आह्वान पर शनिवार को पूरे प्रदेश में मजदूर दिवस मनाया गया। सीटू के अनुसार पांवटा साहिब, परमाणु, दाड़लाघाट, मंडी, कुल्लू, चंबा, ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर, शिमला, रोहडू, रामपुर, किन्नौर आदि स्थानों पर मजदूरों ने भारी संख्या में पहुंच कर जनसभाएं और अपने हक में प्रदर्शन कर मजदूर दिवस मनाया। सीटू के राज्य अध्यक्ष जगत राम का कहना है कि देश की श्रम शक्ति का 90 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्य करता...

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चार साल बाद सर्वोच्च न्यायालय में महिला न्यायमूर्ति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के सर्वोच्च न्यायालय को चार साल बाद महिला न्यायाधीश मिल रही हैं। न्यायमूर्ति रूमा पाल की जून 2006 में सेवानिवृत्ति के बाद शुक्रवार को न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेने जा रही हैं। मिश्रा के अलावा न्यायमूर्ति एच.एल. गोखले तथा न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे भी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे। मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन तीनों न्यायाधीशों को शपथ दिलाएंगे। न्यायमूर्ति...

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हिरासत में हुई मौत तो अधिकारी पहुंचेंगे जेल

लखनऊ। उप्र में पुलिस हिरासत में बढ़ती मौतों से चिंतित मुख्यमंत्री मायावती ने दो टूक शब्दों घोषणा कर दी कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने पर संबंधित अधिकारी को सीधे जेल भेज दिया जाए। मुख्यमंत्री राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिसकर्मियों के व्यवहार से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने पुलिसकर्मियों को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाकर जनता का भरोसा जीतने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने माफिया और पेशेवर अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने का भी आदेश...

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परिवार छोटा रखने का जिम्मा भी महिलाओं पर डाला

पटना। जनसंख्या नियंत्रण के सबसे अहम उपायों में से एक है महिला बंध्याकरण और दूसरा पुरुष नसबंदी। शिशु जन्म की पूरी प्रक्रिया में महिला की भागीदारी ज्यादा होने से उनकी समस्याएं भी अधिक होती हैं, इसलिए इससे निजात के लिए वे बंध्याकरण के प्रति ज्यादा उत्साह दिखाती हैं, लेकिन पुरुष इसमें पीछे हैं। पुरुष अब भी इस गलत और अवैज्ञानिक धारणा के शिकार हैं कि नसबंदी होने पर वे अपनी मर्दानगी [यौन क्षमता] खो बैठेंगे...

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