भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...
More »SEARCH RESULT
'भूखे मरने से अच्छा है कीड़े-मकोड़े खाएं'
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने भुखमरी से निपटने के लिए कुछ नए विकल्प पेश किए हैं। ये पौष्टिक भी हैं और पर्यावरण संरक्षण में मददगार भी। हो सकता है कि ये आपके इर्द-गिर्द रेंग या उड़ रहे हों। बात कीड़े-मकोड़ों की ही हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने सोमवार को जारी एक शोध रपट में कहा है कि चीटियां, टिड्डे और अन्य कीड़े-मकोड़े ऐसे खाद्य...
More »सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?
भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
More »सुप्रीम कोर्ट का फैसला और सस्ती दवाइयों का मुद्दा
रक्त-कैंसर रोधी महंगी और पुरस्कार प्राप्त दवा ग्लीवेक से जुड़े पेंटेंट अधिकार की भारत में रक्षा की जाय- दवा बनाने वाली मशहूर नोवार्टिस कंपनी ने यह गुहार लगायी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इसे खारिज कर दिया।कोर्ट के फैसले के बाद एक दफे फिर से देश में यह बहस शुरु हो गई है कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है और सरकार की स्वास्थ्य नीति हर जरुरतमंद को...
More »जरूरी दवाएं महंगी कर देगी यूरोप से संधि
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सस्ती दवाओं की खुशी जल्द ही काफूर हो सकती है। केंद्र सरकार यूरोपीय समुदाय के साथ गुपचुप रूप से जो मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने जा रही है उसके बाद भारत सख्त पेटेंट शर्तो में बंध सकता है यानी दवाएं महंगी हो सकती हैं। समझौता गुपचुप इसलिए है क्योंकि इसके प्रावधान सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। आमतौर पर मुक्त व्यापार समझौतों का मसौदा संबंधित पक्षों की...
More »