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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया।  हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...

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रोटी इंटरनेट से, पानी शेयर बाज़ार से

-न्यूजलॉन्ड्री, इस सप्ताह अमेरिकी स्टॉक बाज़ार में पानी की संभावित क़ीमतों पर बोली लगने की शुरुआत हो गयी है. यह इतिहास में पहली दफ़ा हो रहा है और इसी के साथ पानी भी सोने-चांदी, तेल, अनाज जैसी चीज़ों की क़तार में आ गया है, जिसकी क़ीमत अब वॉल स्ट्रीट पर तय होगी. दो साल पहले कैलिफ़ोर्निया में बने पानी का दाम तय करने वाले एक सूचकांक- नैसडैक़ वेलेस कैलिफ़ोर्निया वाटर इंडेक्स-...

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अकाल मानवता की दहलीज़ पर आ पहुँचा है: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता WFP

-बीबीसी, वर्ल्ड फू़ड प्रोग्राम को साल 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार गुरुवार को प्रदान किया गया. वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम के एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर डेविड बीज़ली ने नोबेल शांति पुरस्कार ग्रहण किया. उन्होंने कहा, ''ये कल्पना करना असंभव है कि 400 ईस्वी में रोम शहर में भीषण अकाल की वजह से पूरी आबादी के 90 प्रतिशत लोग मारे गए थे. उसी समय रोमन एम्पायर के पतन की शुरुआत हुई. सवाल ये है कि पतन की...

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प्रकृति और पर्यावरण के लिए क्या महत्व रखता है आदिवासियों का सरना धर्म

-न्यूजलॉन्ड्री, देश में लंबे समय से आदिवासी समाज अपनी अलग धार्मिक पहचान की मांग करता आया है. झारखंड इस मांग का केंद्र रहा है और हाल के दिनों में यहां इस मांग ने जोर भी पकड़ा है. यही वजह है कि झारखंड के गठन के बाद पहली बार राज्य सरकार आदिवासियों के लिए अलग से धर्मावलंबी यानी सरना आदिवासी धर्म कोड लाने के लिए तीन नवंबर 2020 को एक प्रस्ताव लेकर...

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